वैसे इस सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए दो साल पहले से ही कवायद चल रही थी। केंद्र की स्थापना कहां होगी और कितने परिक्षेत्र में होगा यह केंद्र यह सब लगभग पहले से ही तय था। बस इंतजार था तो राज्य सरकार की मंजूरी का।
इस संबंध में उप निदेशक पर्यटन अविनाश मिश्र ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि सांस्कृतिक राजधानी काशी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापाना के लिए जगह की तलाश दो साल पहले ही कर ली गई है। पिंड्रा क्षेत्र में पर्यटन विभाग की 220 एकड़ भूमि पर इसका निर्माण होगा।
उन्होंने बताया कि अभी इसका कोई डीपीआर वगैरह तो नहीं बनाया गया है पर जो सोच है उसके तहत इस केंद्र में वैदिक काल से अब तक की सांस्कृतिक यात्रा का दर्शन मिलेगा। कब कैसे किस संस्कृति का जन्म हुआ, कैसे उसका विस्तार हुआ। क्या खास बातें थीं। इसके अंतर्गत साहित्य, कला, रहन-सहन, वेश-भूषा, बोली, परंपराएं, नृत्य-संगीत आदि सभी को दर्शाया जाएगा। हालांकि अभी सभी सोच के स्तर पर है अभी इसे मूर्त रूप लेना है। अब बजट में धनराशि का प्रावधान होने के बाद इस पर तेजी से काम शुरू होगा और जल्द ही प्रोजेक्ट सामने आएगा। इस पर संस्कृति, साहित्य, इतिहास सभी वर्ग के विद्वानों से विचार किया जाएगा।