इस वैदिक विज्ञान केंद्र का निर्माण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर के समपी हुआ है। इसके निर्माण पर 1129.21 लाख रुपए की लागत आई है। इस केंद्र में 2020-21 के शिक्षा सत्र से ही अध्ययन-अध्यापन शुरू होना है। इसमें 12वीं साइंस मैथ वालों का दाखिला सकेगा।
इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान विज्ञान के बीच संबंधों को बढ़ावा देना है। इस केंद्र में वैदिक योग विज्ञान में बीएससी का तीन वर्षीय कोर्स चलेगा। इसके तहत वेदों के सिद्धांतों व उनके प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। संस्कृत धर्म विद्या विज्ञान संकाय के तहत वेद वैदिक केंद्र की स्थापना की गई है। इसमें वेदों में वर्णित वैज्ञानिक व गणितीय सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाएगा।
वेद वैदिक केंद्र के समन्वयक डॉ उपेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक इस संकाय में वैदिक सिद्धान्तों की पढ़ाई भी शुरु की जाएगी। इसमें पुराने सिद्धान्तों के अध्ययन से संबंधित स्नातक स्तर पर विशेष पाठ्यक्रम भी शुरु किया गया है।
प्रो त्रिपाठी के अनुसार वैदिक विज्ञान केंद्र में सत्र 2020-21 से स्नातक स्तर पर दो नए पाठयक्रम शुरु किए जाएंगे। इसमें मुख्य रुप से बीएससी वैदिक योग विज्ञान में तीन वर्षीय स्नातक पाठयक्रम भी शामिल होगा। इसके अलावा दूसरा पाठ्यक्रम बैचलर ऑफ वैदिक साइंस शुरु किया जाएगा।
वैदिक विज्ञान केंद्र में इस साल से शुरु हो रहे बीएससी वैदिक योग विज्ञान व बैचलर ऑफ वैदिक साइंस पाठ्यक्रम में 50-50 सीटों पर छात्र छात्राओं का प्रवेश लिया जाएगा। बीएचयू में वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना का उदेश्य बताते हुए केंद्र समन्वयक का कहना है कि आज वेदों में वर्णित साहित्य व बहुत सिद्धान्त ऐसे हैं जिस पर शोध कार्य कम हुए हैं। इसलिए इन विषयों पर शोध करना व इन विषयों का अध्ययन करके इन सिद्धान्तों का आधुनिक समय में प्रयोग करना ही वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना का मुख्य उदेश्य है।