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वाराणसी

पुलिस के मुखबिर नहीं अब इस चीज से बदमाशों को होने लगा खौफ, हो रहे ताबड़तोड़ खुलासे

कोर्ट में भी अपराधियों को बच पाना हुआ कठिन, अपराध के बाद जल्द हो रहा खुलासा

वाराणसीJun 11, 2018 / 07:15 pm

Devesh Singh

UP Police

UP Police

वाराणसी. पुलिस के लिए मुखबिर ब्रह्मास्त्र साबित होते थे और पहले की पुलिसिंग पूरी तरह से मुखबिरों पर ही निर्भर करती थी लेकिन समय के साथ व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। पुलिस के लिए आज भी मुखबिर मददगार साबित होते हैं लेकिन नयी तकनीक ने पुलिस को ऐसा अस्त्र दिया है जिससे अपराध होने के बाद जल्द खुलासा करना आसान हो जाता है। अपराधियों पर पुलिस से अधिक सीसीटीवी का खौफ हो गया है।
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस पर अपराधियों पर लगाम कसने के लिए दबाव बनाया हुआ है। एक तरफ पुलिस खुलासे करके अपराधियों को जेल भेज रही है तो दूसरी तरफ नये अपराध से पुलिस की चुनौती भी बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पुलिस के लिए सीसीटीवी सबसे कारगर हथियार साबित हो रहा है। सीसीटीवी में एक बार अपराधी या फिर संदिग्ध की फुटेज मिल गयी तो उसका बचना कठिन होता है। अपराधी की पहचान हो जाने के बाद पुलिस उसे पाताल से भी खोज निकालती है। सीसीटीवी पुलिस को इतना रास आ गया है कि व्यापरियों की बैठक में पुलिस अधिकारी लगातार सीसीटीवी लगाने की सलाह दे रहे हैं ताकि अपराध होने के बाद बदमाशों को पकड़ा जा सके।
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मौके पर एक टीम और सीसीटीवी कैमरा खोजने में लगायी जाती कई टीम
यदि पुलिस को कही पर अपराध की सूचना मिलती है तो एक टीम को मौके पर भेज कर अपराधियों की जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है जबकि कई टीम घटनास्थल के आस-पास जाकर सीसीटीवी खोजती है ताकि बदमाशों को फुटेज मिल सके। किसी भी घर या दुकान में कैमरा दिख गया तो पुलिस तुरंत ही उसकी रिकॉडिंग हासिल करती है फिर उसे देख कर संदिग्ध बदमाशों की पहचान की जाती है। पहले घटना होने पर मौके पर जाने के साथ ही पुलिस मुखबिरों के पास जाती थी और अपराधी का सुराग लेने का प्रयास करती थी भले ही वह मुखबिर जेल में हो या फिर कही।

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गलती होने की संभावना बेहद कम, कोर्ट के लिए भी होता पुख्ता सबूत
मुखबिरी की सूचना पर गलती होने की संभावना भी रहती है लेकिन सीसीटीवी फुटेज में ऐसा नहीं है। एक बार घटनास्थल पर बदमाश की फुटेज मिल गयी तो पुलिस को कोर्ट के लिए भी दमदार प्रमाण मिल जाता है। अपराधियों पर पुलिस से अधिक सीसीटीवी का खौफ हो गया है। यदि अपराधी किसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने के पहले क्षेत्र की रेकी करते हैं तो पुलिस पिकेट से पहले सीसीटीवी कैमरा ही खोजते हैं ताकि घटना के बाद उनकी पहचान न हो पाये। बनारस के क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह का कहना है कि इस बात में जरा भी संदेह नहीं है कि सीसीटीवी से हमें बहुत मदद मिलती है। आम तौर पर किसी घटना के बाद लोग पुलिस से कुछ बोलने में डरते हैं यदि लोगों ने बदमाशों का हुलिया भी बता दिया तो तुरंत उनकी पहचान करना कठिन होता है लेकिन सीसीटीवी में एक बार अपराधी आ गया तो उसका बचना असंभव हो जाता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि सीसीटीवी में बदमाश दिख जाता है तो इसकी जानकारी भी बाहर नहीं हो पाती है इसलिए बदमाश थोड़ा निश्चित होता है और पुलिस के लिए पकडऩा आसान हो जाता है।

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