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वाराणसी

अखिलेश यादव व सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की मुलाकात से बदलने वाली है यूपी की राजनीति!

सुभासपा और सपा आने वाले दिनों में एक साथ आते हैं तो अन्य छोटी पार्टियां भी सपा से जुड़ सकती है

वाराणसीAug 23, 2019 / 03:42 pm

Ashish Shukla

वाराणसी. यूपी की राजनीति में शुक्रवार को दो बड़े काम हुए जो भविष्य में सपा के लिए अहम हो सकते हैं। पहला तो ये कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश व जिला स्तर पर सभी युवा व जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया। साथ ही दूसरी बड़ी बात ये कि सुहेलदेव समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आज ही अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात किया है। सूत्रों की मानें तो पूर्वांचल में जनाधार वाली सुभासपा के नेता से अखिलेश यादव की मुलाकात यूपी में नया गुल खिलाने जा रही। य़े वही पार्टी है जिसके साथ 2017 चुनाव में भाजपा ने गठबंधन कर सत्ता की राह को आसान बनाया था। हालांकि ओम प्रकाश ने 2019 चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा से अपना रास्ता अलग कर लिया था। अब ओम प्रकाश ने अखिलेश यादव से मिलकर आने वाले दिनों की राजनीति के बड़े संकेत दे रहे हैं।
दोनों दलों को एक दूसरे की जरूरत
अखिलेश यादव और ओम प्रकाश राजभर के मुलाकात के बीच एक बात तो अहम है कि अगर आने वाले दिनों में दोनों दल साथ आते हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह ये होगी कि अभी हाल में दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। जहां सपा के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग अब उतनी मजबूती से नहीं है तो वहीं ओम प्रकाश राजभर को अलग-थलग कर भाजाप ने अनिल राजभर को कैबिनेट में मंत्री बनाकर उनके मूल वोट को खिसकाए जा रही है। ऐसे में पार्टी के करीबियों की मानें तो दोनों दल जल्द साथ आ सकते हैं।
भाजपा की सबसे बड़ी ताकत बनी है अदर ओबीसी

राजनीति के जानकार बताते हैं कि 2014 से ही भाजपा की सबसे बड़ी ताकत अन्य पिछड़ा वर्ग का एक मुश्त उसके सा आना है। 32 फीसदी से अधिक ये वोट जब से भाजपा से जुड़ा है तब से भाजपा की जीत आसान बनती जा रही है।
मिला साथ तो फिर बनेगा ताकतवर समीकरण

अगर सुभासपा और सपा आने वाले दिनों में एक साथ आते हैं तो अन्य छोटी पार्टियां भी सपा से जुड़ सकती है। अंदरूनी चर्चा तो ये भी है कि अगर राजभर सपा के साथ गये तो अपना दल एस भी इस पर विचार करती सकती है कि पिछड़ा वर्ग के दलों को एक समीकरण बने और एक मंच पर आकर भाजपा को पस्त किया जाये। क्यूंकि लोकसभा चुनाव फिर यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार में जिस तरह से अपना दल को कमोजर कर भाजपा ने अपने रास्ते बनाये हैं उससे वो चिंता में है। कुल मिलाकर सुभासपा नेता का अखिलेश से मिलना ये साबित करता है कि यूपी में बड़ी राजनीतिक बाजीगरी होने वाली है।

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