मंगलवार रात से बुधवार की सुबह तक वाराणसी में एसीएमओ जंग बहादुर के साथ कुल चार लोगों की कोरोना से मौत हुई इनमें वाराणसी में फूड विजिलेंस इंस्पेक्टर के पद पर तैनात अनुपम चन्द्र श्रीवास्तव के पिता केशव चन्द्र श्रीवास्तव भी शामिल थे। एसीएमओ की मौत की खबर मिलने के बाद उनके परिजन पहले ही सुबह 10 बजे के आसपास उनका शव लेने के लिये बीएचयू पहुंच गए। इस दौरान बीएचयू की ओर से बड़ी लापरवाही सामने आर्इ। जंग बहादुर के बदले उनके परिजनों को केशवचन्द्र श्रीवास्तव का शव दे दिया।
परिजन शव लेकर हरिश्चन्द्र घाट पहुंचे और वहां अंतिम संस्कार भी कर दिया। उधर अनुपम श्रीवास्तव दोपहर 12 बजे अपने पिता केशवचन्द्र का शव लेने के लिये बीएचयू पहुंचे। उन्हें शक हुआ तो उन्होंने शव का चेहरा दिखाने को कहा। चेहरा देखते ही उन लोगों के होश उड़ गए। यह शव उनके पिता का नहीं बल्कि एसीएमओ का था। इसको लेकर परिवार ने वहां जमकर हंगामा किया। इसके बाद तत्काल एसीएमओ के परिवार से सम्पर्क किया गया। फूड इंस्पेक्टर के परिवार के लोग भागकर हरिश्चन्द्र घाट पहुंचे लेकिन तब तक शव भी लगभग जल चुका था। बीएचयू कर्मचारियों की लापरवाही के चलते परिवार अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका। गलती का एहसास होने के बाद एसीएमओ का शव हरिश्चन्द्र घाट भेजा गया। उनके परिजनों ने विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया।
पिता का शव बदले जाने से नाराज फूड इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव ने बीएचयू पर पिता के इलाज में भी लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना था कि उनके पिता की मौत बीएचयू की लापरवाही के चलते हुई है। उन्होंने बीएचयू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की बात भी कही है। हालांकि स्थानीय लंका थाने ने कोई लिखित शिकायत मिलने से इनकार किया।