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वाराणसी

वाराणसी के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर होगा ‘बनारस’ एयरपोर्ट जैसा है स्टेशन

काफी समय से चल रही थी वाराणसी के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस करने की मांग, मनोज सिन्हा ने किया था वादा, अब गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद अस्तिव में आएगा बनारस रेलवे स्टेशन।

वाराणसीAug 18, 2020 / 11:42 am

रफतउद्दीन फरीद

Manduadih Railway Station

मंडुआडीह रेलवे स्टेशन

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इतिहास एक बार फिर से पुनर्जीवित होगा। वाराणसी का पुराना नाम दस्तावेजों में फिर से अंकित हो जाएगा। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वाराणसी के ‘मंडुआडीह रेलवे स्टेशन’ का नाम बदलकर ‘बनारस’ किये जाने का मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से रेलवे स्टेशन कानाम बदलने का अनुरोध भेजा गया था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मीडिया में आए बयान के मुताबिक मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किये जाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है। स्टेशन का नाम बदलने की मुहिम चलाने वाले इससे खुश हैं।

 

मनोज सिन्हा ने पूरा किया वादा

वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने की मांग यूं तो समय-समय पर उठती रही है। पर इस मांग को और बल तब मिला जब पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इस मुहिम से जुड़े और इसे मूर्त रूप देने में जुटे रहे। उन्होंने मंत्री रहते हुए वाराणसी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया था। इसके लिये उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी स्टेशन का नाम बदलने का अनुरोध किया था। उन्होंने मंत्रालय से स्वीकृति प्रदान कर फाइल राज्य व केन्द्र को बढ़ा दी थी। मनोज सिन्हा की मेहनत अब जाकर रंग लायी और स्टेशन का नाम बदलकर ‘बनारस’ करने के लिये गृह मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी।

 

क्या थी नाम बदलने की जरूरत

1556 में बनारस का नाम बदलकर पुनः वाराणसी कर दिया गया, लेकिन लोगों की जबान पर बनारस नाम चढ़ चुका था। बोलने में बनारस और लिखने में वाराणसी। यूं तो बनारस में वााणसी कैंट, काशी, मंडुआडीह, शिवपुर समेत कई रेलवे स्टेशन हैं, लेकिन बनारस के नाम से कोई नहीं। यात्री और सैलानी जब वाराणसी स्टेशन पर उतरते तो वह नाम के चलते भ्रम के चलते उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता। नाम को लेकर भ्रम के चलते यात्रियों को इधर उधर भटकना पड़ता है। अब नाम बदलने से यह परेशानी दूर हो जाएगी। इस मुद्दे को लगातार उठाने वाले काशी के बुदि्धजीवी ए के लारी कहते हैं इस निर्णय से खुश हैं। उन्होंने बनारसियों की पुरानी मांग को पूरा करने के लिये सरकार को बधाई दी


अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बना है मंडुआडीह स्टेशन

मनोज सिन्हा के रेल राज्यमंत्री रहते हुए वाराणसी के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन की पूरी कायापलट कर दी गई। कभी मालगाड़ियों की आवाजाही और कुछ ट्रेनों के ठहराव के अलावा वहां सन्नाटा पसरा होता था, लेकिन अब स्टेशन किसी एयरपोर्ट सरीखा बना दिया गया है। यहां वो सारी सुविधाएं देने की कोशिश की गई हैं, जो किसी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के रेलवे स्टेशन पर होती हैं। पूरा स्टेशन एलईडी लाइटों से चमचमाता रहता है। स्टेशन की खूबसूरती में चार चांद लगाते फव्वारे हैं तो वेटिंग हॉल और सर्कुलेटिंग एरिया दूसरे स्टेशनों के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े हैं। रिजर्वेशन ऑफिस हो या फिर कैफेटेरिया और फूड कोर्ट वगैरह सबकुछ बिल्कुल मॉडर्न स्टाइल के हैंँ। स्टेशन पर स्टील के चमचमाती कुर्सियां लगी हुई हैं। यहां महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव कर दिये जाने के चलते अब यह वाराणसी का बेहद अहम स्टेशन बन चुका है।


कैसे बदलता है किसी स्टेशन का नाम

किसी स्टेशन का नाम बदलने के लिये गृह मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत होती है। नाम बदलने का प्रस्ताव मिलने के बाद गृह मंत्रालय उससे संबंधित एजेंसियों से परामर्श के बाद तय दिशा निर्देशों के मुताबिक नाम बदलने के प्रस्ताव पर विचार करता है। इसके लिये रेल मंत्रालय, डाक विभाग और सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र कर भी जरूरत होती है। इसके बाद नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है। किसी राज्य का नाम बदलने के लिये संसद में साधारण बहुमत के साथ ही संविधान में संशोधन की जरूरत होती है, जबकि किसी गांव, कस्बा या शहर का नाम कबदलने के लिये कार्यकारी आदेश की जरूरत होती है।

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