हाल इतने बदतर हो चले हैं कि शहर में पानी की आपूर्ति करने वाला जलकल गंगा से क्षमता का आधा पानी ही उठा पा रहा है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पखवाड़े से गंगा का जलस्तर प्रतिदिन ढाई से तीन सेंटीमीटर के हिसाब से घटा है। भदैनी स्थित रॉ-वॉटर पंपिंग स्टेशन पर गंगा का वर्तमान जलस्तर 191 फीट है जो न्यूनतम चेतावनी बिंदु से बस तीन फीट ही ज्यादा है। पंपिंग स्टेशन के पंपों के 60 से 65 फीसदी पानी ही उठाने से शहर में जलापूर्ति कम कर दी गई है। जलस्तर में और कमी आने पर अगले सप्ताह एक बड़ा पंप बंद होने की स्थिति में जलापूर्ति आधी हो जाएगी। जलसंकट दूर करने के लिए जल संस्थान के महाप्रबंधक नीरज गौड़ ने पत्र लिख कर गंगा में पानी छोड़ने का अनुरोध किया था। उस पत्र को संज्ञान लेते हुए सिंचाई विभाग ने कानपुर के गंगा बैराज से 35 सौ क्यूसेक पानी छोड़ने का ऐलान किया था। लेकिन पानी अब तक वाराणसी नहीं पहुंचा है। बता दें कि वाराणसी शहर के अधिकांश इलाके में प्रतिदिन 276 एमएलडी पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत गंगा ही है।
बताया जा रहा है कि गंगा का जल स्तर 10 सालों के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गया है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पखवाड़े से गंगा का जलस्तर प्रतिदिन ढाई से तीन सेंटीमीटर के हिसाब से घटा है। जलस्तर घटने से गंगा में विषैले पदार्थों की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि पानी नहाने योग्य भी नहीं रहा गया है।
गंगा के साथ भूजल के भी पाताल की राह पकड़ने से पानी का संकट और भी गहरा गया है। शहर के ऊंचाई वाले स्थानों पर पाइप के सहारे पानी पहुंच ही नहीं रहा तो कई मोहल्लों में हैंडपंप भी धोखा दे चुके हैं। सुबह से देर रात तक पानी के लिए लोग मशक्कत कर रहे हैं। जलसंकट से जूझ रहे लोगों की गुहार को जलकल और जल निगम के अनसुनी करने से लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है। वहीं विभाग दो-चार जगहों पर टैंकर खड़ा कर अपने जिम्मेदारी पूरी होने का दावा कर रहे हैं, जिसे जनता नाकाफी बता रही है।
बता दें कि शहर में 148 बड़े नलकूप हैं। जलस्तर तेजी से नीचे जाने के कारण दो दर्जन से ज्यादा नलकूपों से पानी नहीं मिल रहा। इसके अलावा 15 मिनी नलकूपों से भी पानी गायब हो गया है। छह सौ हैंडपंप सूख चुके हैं।
पेयजल संकट के चलते जनता सड़कों पर उतरने को आमादा
” शहर के अधिकांश हिस्सों में पेयजल संकट गहरा गया है। एक तो पानी मिल नहीं रहा जहां कहीं थोड़ा-बहुत पानी मिल भी रहा है तो वह गंदा पानी है। पानी की जांच भी ठीक से नहीं हो रही है। हालात इतने बदतर है कि जलकल के लीकेज दूर करने के लिए इंजीनियर गलियों और सड़कों को खोद तो रहे हैं पर वाजिब काम नहीं हो पा रहा। पानी के लिए जनता सड़कों पर उतरने को आमादा है।” – रमजान अली, नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य
इन इलाकों में है गंभीर संकट
काजी सादुल्लापुरा, रसूलपुर, बाकराबाग, नागकुआं, दोषीपुरा, जमालुद्दीनपुरा, कमालपुरा, कमलगढहा, जैनपुरा, कच्चीबाग, आगागंज, कटेहर, छित्तनपुरा, चौहट्टा लाला खा, पांडेयपुर, नई बस्ती, तेलियाबाग, कोनिया, बजरडीहा, सरैया, खोजवां, संकुलधारा, सुकुलपुरा, चौक, ईश्वरगंगी, शिवाला, भेलूपुर, गौरीगंज, कमच्छा और पूरा पक्का महाल।
बारिश हो तो संकट से मिले निजाद
” कानपुर से गंगा गैराज से गंगा में पानी छोड़ा तो गया है पर अभी तक बनारस नहीं पहुंचा है। उधर मानसून भी लेट है। बावजूद इसके हम लोग पूरा प्रयास कर रहे हैं। भदैनी पर अभी 191फीट है गंगा का जलस्तर जबकि विभाग 189 फीट तक पानी उठा लेता है सो अभी तो काम चल जा रहा है। लेकिन बारिश नहीं हुई तो संकट बढ सकता है। नीरज गौड, जीएम जलकल