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वाराणसी

सीएम अखिलेश यादव ने मुलायम की गाजीपुर रैली से क्यों किया किनारा ?

गाजीपुर रैली से एक दिन पहले ही कर दिया सैदपुर पुल का उद्घाटन, आखिर क्यों ? जानिये चार बड़ी वजहें।

वाराणसीNov 24, 2016 / 08:38 pm

रफतउद्दीन फरीद

CM Akhilesh Yadav and Mulayam Singh Yadav

CM Akhilesh Yadav and Mulayam Singh Yadav

गाजीपुर. पूर्वांचल की पहली चुनावी रैली में एक बार फिर यह संदेश गया कि सीएम अखिलेश यादव अभी भी अपनी पुरानी जिद पर अड़े हैं। वह गाजीपुर में हुई मुलायम सिंह यादव की रैली में नहीं शामिल हुए। इतना ही नहीं एक दिन पहले ही उन्होंने गाजीपुर के सैदपुर में बने पुल का उद्घाटन भी लखनऊ से कर दिया। इन ताजा घटनाक्रमों के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि अभी भी चाचा-भतीजे में कुछ बातों को लेकर मतभेद हैं। पत्रिका ने भी मुलायम सिंह यादव की रैली के एक दिन पहले ही खबर प्रसारित कर यह आशंका जतायी थी कि सीएम अखिलेश यादव के रैली आने की उम्मीद कम है। हालांकि मुलायम सिंह यादव की रैली बिना अखिलेश यादव के भी पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली से ज्यादा सफल रही, ऐसा प्रत्यक्षदर्शी और राजनीतिक पण्डित भी कह रहे हैं। पर इसमं अखिलेश यादव का न आना सपा कार्यकर्ताओं को खला। राजनीतिक पण्डित अखिलेश यादव के मुलायम की रैली में न आने की वजहें गिनाते हैं।






गाजीपुर से उठी चिंगारी ने समाजवादी कुनबे में लगाई थी आग
सीएम अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव में मन मुटाव और वैचारिक मतभेद तो पहले से बताए जाते हैं, पर यह मतभेद सड़कों और मंच पर तब आया जब इसमें गाजीपुर से उठी चिंगारी ने आग लगाई। यह चिंगारी कोई और नहीं बल्कि सपा के नए सिपह सालार बाहुबली मोख्तार अंसारी के भाई हैं। इन भाइयों के आने को लेकर सीएम अखिलेश यादव बेहद नाराज थे।






मुलायम की रैली से अंसारी बंधुओं को दिखानी थी ताकत
गाजीपुर में मुलायम सिंह यादव की गाजीपुर रैली दरअसल अंसारी बंधुओं का सियासी शक्तिप्रदर्शन थी। इस रैली का पूरा इंतजाम अंसारी बंधुओं ने किया था। उन्होंने यह वादा भी किया था कि इस रैली को पीएम से बड़ी रैली बनाएंगे। इसके लिये उन्होंने नौ दिनों में काफी मेहनत भी की। अंसारी बंधुओं ने अपनी सियासी ताकत दिखायी भी, जिससे मुलायम सिंह यादव गदगद दिखे। यही सीएम अखिलेश यदाव के लिये रैली में न आने की वजह थी। चूंकि उन्होंने अंसारी बंधुओं के सपा में आने को लेकर बगावत की थी, इसलिये ऐसे मंच पर आने से जिस पर अंसारी बंधु मौजूद हों सीएम को दूरी बनानी लाजिमी थी।




इसलिये एक दिन पहले कर दिया पुल का उद्घाटन
राजनीतिक हलकों में एक चर्चा यह भी है कि आखिर क्यों पिता की रैली के एक दिन पहले सीएम ने उनसे सैदपुर पुल के उद्घाटन का मौका छीन लिया और लखनऊ से ही रिमोट के जरिये उद्घाटन कर दिया। दरअसल यह पुल बीजेपी की सरकार में तब पास हुआ था, जब कलराज मिश्रा पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर हुआ करते थे। उसके बाद बसपा और सपा सरकारों के आने के बाद इसे पेंडिंग में डाल दिया गया। पर इस बार सैदपुर विधायक सुभाष पासी के प्रयास से पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर रहे शिवपाल सिंह यादव ने सैदपुर ही नहीं गाजीपुर के बन रहे तीनों पुलों का काम युद्ध स्तर पर शुरू करा दिया। सैदपुर पुल को शिवपाल यादव की प्राथमिकता वाले कामों की सूची में गिना जाता था। ऐसे में यदि गाजीपुर से इस पुल का उद्घाटन किया जाता तो उसका श्रेय शिवपाल यादव को जाता। ऐसे में अखिलेश यादव ने लखनऊ से ही पुल का उद्घाटन कर पूरा श्रेय ले लिया।




अंसारी बंधुओं को नहीं पसंद करते हैं सीएम अखिलेश
सीएम अखिलेश यादव को बाहुबली मोख्तार अंसारी और उनके भाई नहीं भाते हैं, हालांकि यह बात अलग है कि वह राजा भैया से इस बीच लगातार मुलाकात करते रहे हैं। अंसारी बंधुओं को नापसंद करने को लेकर ही उनकी चाचा शिवपाल से भिड़न्त हो गई थी। शिवपाल यादव अंसारी बंधुओं को सपा में लाने में कामयाब हुए तो शायद सीएम के लिये यह एक हार भी कही गई। ऐसे में अंसारी बंधुओं की सियासी ताकत दिखाने वाली रैली में यदि सीएम को आना पड़ता तो उन्हें अंसारी बंधुओं के बारे में भी कुछ न कुछ जरूर कहना पड़ता। अगर वह पक्ष में कहते तो यह उनकी सियासी रूप से हार मानी जाती और खिलाफ बोलते तो बड़ी मुश्किल से थमी समाजवादी कुनबे की जंग को शायद फिर हवा मिलती।
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