रविवार की शाम से अचानक ही सारनाथ के 50 मीटर क्षेत्र में धरती में कंपन शुरू हो गया। यह सोमवार को भी जारी रहा। वहां दुकानों में रखे सामान, काउटर, शटर, दरवाजे, कुर्सी, मेज आदि सब कुछ हिलने लगे। बोतलों में रखे पानी में भी कंपन साफ दिखा। ऐसा होते ही लोग घबराकर दुकानों से बाहर निकल आए। पहले लगा कि भूकम्प है पर कुछ ही देर में पता चल गया कि यह कंपन केवल उसी इलाके में है। लोग किसी अनहोन की आशंका से घबरा गए।
सोमवार को दिन भर लोग कंपन के चलते भय और चिंता में रहे। पुरातात्विक महत्व के स्थलों के आस-पास धरती का इस तरह कंपन करना लोगों में मन में सवाल पैदा करने लगा। सोमवार की सुबह अचानक तिब्बती बौद्घ मंदिर से आगे जापानी बौद्घ मंदिर मोड़ स्थित तिराहे पर धरती कांपने लगी। शुरू में लोगों ने भूकम्प समझा। हालांकि कुछ लोगों का तर्क था कि यहीं से एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मोटी पाइप गुजरी है। उसमें लीकेज के चलते ऐसा हो सकता है। देर रात जाकर यह कंपन थमा तब लोगों को राहत मिली।
कुछ लोगों का यह भी कहना था कि हल्के कंपन उन्हें पिछले पांच दिनों से महसूस हो रहे थे, लेकिन उन्होंने आसपास जेनरेटर चलना समझकर उसपर ध्यान नहीं दिया। हैरानी इस बात की थी कि कंपन सीमित एरिया तक ही था। रिशु यादव नाम के दुकानदार ने मीडिया से बताया कि उनकी दुकान के आसपास कंपन महसूस हो रहा था, पर कुछ मीटर दूर सब ठीक था।
भू वैज्ञानिक आशंका जता रहे हैं कि वहां धरती के नीचे कोई गैस बन रही हो और उसे निकलने का रास्ता न मिलने के चलते ऐसा हो रहा हो। बेंगलूरू के एक गांव में भी छोटे से क्षेत्र में ऐसी समस्या आई थी, जिसकी वजह गैस थी। हालांकि जल निगम का कहना है कि पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से धरती में कंपन संभव नहीं। अब सबको इंतजार है कि प्रशासन की जांच टीम आकर सारनाथ में कंपन का रहस्योद्घाटन करे और उसकी वजह बताए।