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वाराणसी

World Rabies Day इन जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज, ये लक्षण दिखें तो तुरंत कराएं इलाज

हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है विश्व रेबीज दिवस।
2007 से हुई थी विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) मनाने की शुरुआत।
अल्पज्ञान और लापरवाही से जानलेवा बनता है रेबीज।

वाराणसीSep 28, 2020 / 09:10 am

रफतउद्दीन फरीद

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वाराणसी. अज्ञानता और अल्प जानकारी के चलते रेबीज का समय रहते इलाज न होने पर यह जानलेवा साबित हो जाता है। लोगों को इस बीमारी के को लेकर जागरूक करने के मकसद से 2007 से हर साल 28 सितंबर को ‘वर्ल्ड रेबीज डे’ (World Rabies Day) मनाने की शुरुआत की गई। एक आम भ्रांति है कि रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से फैलता है, जबकि यह सही नहीं। लायसावायरस के कारण होने वाला रेबीज कुत्तों के अलावा अन्य कई जानवरों के काटने से भी हो सकता है। रेबीज दरअसल एक वायरल इंफेक्शन है जो आम तौरपर इंफेक्टेड जानवरों के काटने से फैलता है। यह कुत्ता, बिल्ली बंदर आदि कई जानवरों के काटने से हो सकता है। यही नहीं पालतू जानवरों के चाटने, उनके लार के खून के सम्पर्क में आने से भी फैलता है। जरूरी बात यह कि इस जानलेवा बीमारी के लक्षण काफी देर में नजर आते हैं। जानवर के काटने का हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिये। इस मामले में लापरवाही बिल्कुल ठीक नहीं। कम जानकारी जानलेवा हो सकती है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए या फिर इलाज में देर हो जाए तो ये जानलेवा साबित हो जाता है।

 

72 घंटे के अंदर टीका लगवाना जरूरी

किसी व्यक्ति को रेबीज से संक्रमित जानवर ने काट लिया हो तो उसके इलाज में देरी करना खतरनाक हो सकता है। उसे तत्काल असप्ताल ले जाकर इलाज कराया जाना बेहद जरूरी है। 72 घंटे के भीतर इलाज बेहद जरूरी है, ऐसे में जितना जल्दी हो सके एआरवी या वैक्सीन का टीका जरूर लगवाएं। वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में रोजाना 100 से 120 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने आ रहे हैं। वाराणसी के मंडलीय अस्पताल के एसआईसी डाॅक्टर प्रसन्न कुमार बताते हैं कि इनमें से 20 से 25 तो बंदर काटने के मामले होते हैं। ग्रामीण इलाकों से भी मरीज रेफर होकर आते हैं। सभी को वैक्सील लगाने के साथ ही बचाव के उपाय भी बताए जाते हैं।


ह्यूमन बाॅडी को कैसे प्रभावित करता है

कई बार कुत्ते आदि ऐसे जानवरों के काट लेने के बाद जिनसे रेबीज फैलने का खतरा रहता है, लोग समय रहते इलाज कराने में लापरवाही बरतते हैं। अक्सर यह उनके लिये बेहद खतरनाक साबित होता है। रैबीज के लक्षण भी काफी देर में दिखायी देते हैं। रेबीज का वायरस इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद उसके नर्वस सिटम में पहुंचकर मस्तिष्क में सूजन पैदा कर देता है। ऐसा होने पर खतरा बेहद बढ़ जाता है। इस स्थिति में मरीज या तो कोमा में चला जता है या फिर उसकी मौत हो जाती है। कइयों में लकवा के चांस बढ़ जाते हैं। मस्तिष्क में पहुंचने के बाद संक्रमित व्यक्ति में इसके लक्षण और संकेत दिखने लगते हैं। यह वायरस मांसपेशियों के संपर्क में आने से भी प्रभावित कर सकता है।

 

ये हैं रैबीज के लक्षण

रेबीज रोगियों में सिरदर्द, घबराहट, बुखार, बेचैनी, चिंता, भोजन निगलने में परेशानी, भ्रम की स्थिति, ज्यादा लार निकलना, अनिद्रा, पानी से डर, अंग में लकवा मार जाना

 

जानवर के काटने पर सावधानियां

क्या करेंक्या न करें
अपने पालतू कुत्तों को इंजेक्शन जरूर लगवाएं।रेबीज संक्रमित जानवर के काटने पर इलाज में देरी या लापरवाही न करें

यदि रेबीज संक्रमित किसी जानवर जैसे बंदर, कुत्ते आदि ने काट लिया तो इलाज में देरी न करेंघरेलू टोटके के चक्कर में न पड़ें, समय रहते वैक्सीन लगवाएं
जानवर की काटी हुई जगह किो साबुन या डेटाॅल से 10 से 15 मिनट तक साफ करेंजख्म ज्यादा हो तो उसपर टांके न लगवाएं

72 घंटे के अंदर वैक्सीन, एआरवी का टीका अवश्य लगवाएं

कुत्तों और बंदरों जैसे जानवरों के सम्पर्क में ज्यादा न जाएं

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