script#Nagpanchami2019- काशी के नागकूप मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, जानें क्या है महत्व, क्यों है प्रसिद्ध | Worship of Nageshwar Mahadev in Nagakup of Kashi on Nagpanchami | Patrika News
वाराणसी

#Nagpanchami2019- काशी के नागकूप मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, जानें क्या है महत्व, क्यों है प्रसिद्ध

-Nagpanchami2019 पर नागकूप मंदिर के आचार्य कुंदन पांडेय ने बताया-इस प्राचीन कुंड में स्नान करने से मिलती है काल सर्प दोष से मुक्ति-पवित्र कुंड का जल घर में 21 दिन रखने, छिडकाव, स्नान व आचमन से मिलती है हर तरह के कष्टों से मुक्ति-यह महर्षि पांचजलि की है तपोस्थली-महर्षि पाणिणी हैं बड़े गुरु और पतंजलि हैं छोटे गुरु

वाराणसीAug 05, 2019 / 12:39 pm

Ajay Chaturvedi

नागपंचमी पर नागेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन पूजन को उमड़ी भीड़

नागपंचमी पर नागेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन पूजन को उमड़ी भीड़

वाराणसी. Nagpanchami2019 के दिन सोमवार को काशी के प्राचीन नागकूप में सुबह से ही लगी है श्रद्धालुओं की भीड़। इस कूप में माला-फूल, दूध, लावा चढाने, स्नान करने से मिलती है काल सर्प दोष से मुक्ति। मान्यता है कि यह महर्षि पतंजलि की है तपोस्थली। ऐसे में यहां हर साल नागपंचमी को काशी ही नहीं अपितु आस-पास के जिलों के श्रद्दालु यहां आते हैं स्नान करते हैं, पवित्र कुंड में जल, दूध, धान का लावा आदि चढाते हैं। कुंड के ऊपर है नाग देवता का मंदिर वहां पूजन-अर्चन करते हैं।
प्रसिद्ध प्राचीन नागकूप
इस नागकूप के महंत आचार्य कुंदन पांडेय ने बताया कि यह गुरु पतंजलि की तपोस्थली है। मान्यता है कि नाग स्वरूप महर्षि पाणिनी ने यहीं पतंजलि को शिक्षा दी थी। पाणिनी प्रकांड व्याकरणाचार्य रहे। इसीलिए पाणिनी को बड़े गुरु और पतंजलि को छोटे गुरु की मान्यता प्राप्त है। आज के दिन यानी नागपंचमी को इन दोनों की पूजा की जाती है।
नागेश्वर महादेव के प्रत्यक्ष दर्शन
आचार्य पांडेय ने बताया कि इस प्राचीन कुंड में है नागेश्वर महादेव का शिवलिंग। नागदेवता को तुलसी की माला प्रिय है, ऐसे में इस कूप में तुलसी की माला चढाई जाती है। दूध और लावा नागदेवता के भोज्य पदार्थ के रूप में चढाया जाता है। उन्होंने बताया कि आज के दिन इस कुंड में स्नान करने का भी प्रावधान है। कुंड में स्नान करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही भक्त जन कुंड का जल ले कर घर जाते हैं। हर कमरे में जल का छिड़काव किया जाता है। मान्यता यह भी है कि लगातार 21 दिन तक इस कुंड के जल से स्नान करने, आचमन करने से काल सर्प दोष से तो मुक्ति मिलती ही है साथ ही हर तरह की भय-बाधा से भी मुक्ति मिलती है।
ऐसे में इस नाग कूप में भोर से ही श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन चढता गया भीड़ बढती गई। नवापुरा, जैतपुरा मोहल्ले में स्थित इस नागकूप के कुंड में स्नान, पूजन को श्रद्धालुओं जुटते रहे। आस पास के इलाकों में तुलसी की माला, बिल्व पत्र, दूध और लावा की दुकानें सजी थीं। श्रद्धालुओं ने कहा कि यहां हम हर साल आते हैं, नाग देवता को पूजने के लिए, उनका आशीर्वाद हासिल करने के लिए।
नाग देवता को अर्पित करने को तैयार दूूध लावा बिल्वपत्र और तुलसी की माला
नागकूप के अलावा घर-घर में नाग की तस्वीर दरवाजों पर दीवारों पर लगाई गईँ। नाग देव का विधिवत पूजन-अर्चन हुआ। महिलाओं ने पूजन स्थल को साफ सुथरा कर नाग देव की तस्वीर चिपकाई और दूध लावा चढा कर पूजन-अर्चन किया।
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