स्टेट और यूनिवर्सिटी गेम्स में बजाया है डंका काशी के सोनिया अखाड़े के पहलवान आशीष कुमार ने patrika.com को बताया कि उन्होंने प्रोफेशनल कुश्ती साल 2007 से खेलना शुरू की। पहले यूनिवर्सिटी गेम्स और फिर स्टेट लेवल पर पहलवानों को धुल चटाई और कई पदक अपने नाम किए हैं। जब उनसे बृजभूषण शरण सिंह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के ऊपर जो एलीगेशंस लगे हैं उनका जवाब और सवाल कोर्ट करेगी। इसमें हमारी टिप्पणी की कोई आवश्यकता नहीं है।
बृजभूषण शरण का कार्यकाल था बेहतरीन आशीष कुमार ने बताया कि बृजभूषण शरण सिंह हो या कोई भी कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष हो उसका एक कार्य होता है, जहां कोई चैम्पियनशिप आयोजित होती है। वहां खिलाड़ियों के रुकने का स्थान और उसकी प्रॉपर डाइट का इंतजाम। ऐसे में यदि बृजभूषण शरण सिंह की बात की जाए तो उनका कार्यकाल इसके लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके कार्यकाल में किसी भी खिलाड़ी को रहने और खाने की दिक्कत नहीं हुई।
खिलाड़ी दे पाते थे अपना 100 परसेंट काशी के पहलवान आशीष ने patrika.com को बताया कि एक खिलाड़ी जब मैट पर उतरता तो वहां महासंघ के अध्यक्ष, कोच या किसी अन्य का कुछ भी काम नहीं आता। वहां बस खिलाड़ी का खेल और उसकी मानसिक स्थिति ही उसे विजयश्री दिलवाती है। इसके लिए बृजभूषण शरण सिंह ने हर वो काम किया जो होना चाहिये। उनके कार्यकाल में किसी खिलाड़ी को पूरी नींद सोने के लिए भटकना नहीं पड़ा और ना ही किसी को कभी डाइट की कमी हुई, इससे खिलाड़ियों ने हमेशा अपना 100 प्रतिशत अपने परफॉर्मेंस में दिया और देश और स्टेट का नाम विश्व पटल पर रौशन किया।
कई खिलाड़ियों के लिए की फंडिंग आशीष ने बताया कि हमारे समय में कई खिलाड़ी ऐसे भी थे जो किट भी नहीं खरीद सकते थे पर उनकी पहलवानी स्टेट और देश का नाम रौशन कर सकती थी। उन्हें भी उन्होंने आगे बढ़ाया और खुद से फंडिंग की पर कभी इसका श्रेय नहीं लिया हमेशा उन्होंने खिलाड़ी के खेल को इसका श्रेय दिया।