उन्होंने कहा कि इससे पहले मई में उत्तर प्रदेश सरकार चीन की मदद से कृत्रिम बारिश कराना चाहती थी। इसके बदले चीन को 10.5 करोड़ देने की भी बात हुई थी। लेकिन ऐन वक्त पर चीन ने बारिश कराने से इनकार कर दिया और कहा कि वह भारत में बारिश नहीं कराएगें। जिसके बाद आईटी कानपुर द्वारा कृत्रिम बारिश की तकनीक को इजात किया गया। उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि स्वदेशी कृतिम वर्षा विधि पर चीन की विधि की तुलना में आधा खर्च होगा। इस विधि के तहत 1000 किलोमीटर परिक्षेत्र में कृतिम बरसात पर लगभग 5.5 करोड़ रुपए का खर्च होगा ।
इस तरह कराई जाएगी बारिश
मंत्री ने बताया कि आईआईटी कानपुर द्वारा इजात कि गई कृत्रिम बारिश की विधि के तहत हेलीकॉप्टर द्वारा आसमान में बदलों पर बर्फ व नमक के छिड़काव के जरिए उन्हें नीचे लाया जाएगा और बारिश कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि 1000 किलोमीटर परिक्षेत्र में कृत्रिम बारिश पर लगभग 5.5 करोड़ रुपए का व्यय होगा । उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए का कि अब कानपुर आईआईटी ने इस विधि को चीन की विधि के खर्च की तुलना में आधे पर ही इजात कर लिया है। प्रदेश में इसका सबसे पहले प्रयोग शीघ्र ही महोबा में किया जाएगा।
बरतनी होगी सावधानी
मंत्री ने कहा कि कृतिम बरसात के दौरान विशेष सावधानी बरती जाएगी। क्योंकि कृत्रिम बारिश बादलों के नजदीक होने के कारण मूसलाधार हो सकती है। बारिश कराने के दौरान स्थानीय लोगों को सूचना देकर घरों से बाहर निकलने से रोका जाएगा। हालांकि इस बारिश से लोगों के घरों व अन्य स्थानों को कोई खतरा नहीं होगा। आखिर में मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस विधि का प्रेजेंटेशनदेख लिया है। अब इसे मुख्यमंत्री को दिखाया जाएगा। उनकी हरी झंड़ी मिलने के बाद ही सबसे पहले महोबा और उसके बाद मिर्जापुर में बारिश कराई जाएगें।