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वाराणसी

प्रधानमंत्री के खिलाफ, खुद को जिंदा साबित करने के लिए चुनाव लड़ेगा ” जिन्दा मुर्दा चाय वाला”

जानिए कौन हैं ‘जिंदा-मुर्दा चाय वाला’ और क्यों लड़नी पड़ रही यह लड़ाई

वाराणसीApr 17, 2019 / 09:39 pm

Sunil Yadav

प्रधानमंत्री के खिलाफ खुद को जिंदा साबित करने के लिए चुनाव लड़ेगा

प्रधानमंत्री के खिलाफ खुद को जिंदा साबित करने के लिए चुनाव लड़ेगा

वाराणसी. वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नामाकंन की तारीख जैसे जैसे नज़दीक आ रही है, चुनाव लड़ने वालों की संख्या में लगातार इज़ाफा होता जा रहा है। पीएम मोदी जहां वाराणसी से 26 तारीख़ को अपना नामांकन कर सकते हैं। वही विपक्ष ने अब तक अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। इन सबके बीच बर्खासत बीएसएफ जवान तेज बहादुर, भीम आर्मी चीफ़ चंद्रेशेखर समेत आधा दर्जन लोगों ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है। इसके बाद अब खुद को ‘जिंदा-मुर्दा चाय वाला’ बता रहे एक और शख्स ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस शख्स का कहना है कि वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए चुनाव लड़ने जा रहा है। इससे पूर्व वह राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन कर चुका है।
जानिए कौन हैं ‘जिंदा-मुर्दा चाय वाला’ और क्यों लड़नी पड़ रही यह लड़ाई


खुद को ‘जिंदा-मुर्दा चाय वाला बता रहे दिल्ली के जंतर मंतर पर 2012 से लगातार धरना दे रहे वाराणसी के चौबेपुर निवासी संतोष मूरत सिंह कहते है कि वह प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़कर खुद को जिंदा साबित करना चाहते है। संतोष ने बताया कि फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर 2003 में रिलीज हुई फिल्म “आंच” की शूटिग के लिए वर्ष 2000 में उनके गांव पहुंचे थे। इस दौरान नाना पाटेकर से उनकी मुलाकात हुई और वह अपने साथ उसे मुंबई ले गए। वहां उसकी मुलाकात मराठी दलित युवती से हुई जिसके साथ उसने प्रेम विवाह कर लिया। विवाह के बाद जब वह गांव लौटे तो दलित लड़की से शादी के कारण गांव वालों ने उसाका बहिष्कार कर दिया। माता-पिता का निधन पहले ही हो चुका था।

ऐसे में वर्ष 2003 में मुम्बई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में उसके पट्टीदारों ने उसे मृत दिखाकर बनारस के चौबेपुर के छितौनी में स्थित उनकी 12.5 एकड़ पुश्तैनी जमीन को अपने नाम करा लिया। इसके बाद वह नाना पाटेकर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आश्वासन के बाद भी खुद को जिंदा साबित नहीं कर पाया।

जनतर मंतर पर धरना और चाय की दुकान पर काम


संतोष ने बताया कि वह खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर सन् 2012 से धरना दे रहे है। इस दौरान जीविका चलाने के लिए वही चाय की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। संतोष ने बताया कि वह जंतर-मंतर पर केतली लेकर चाय बेचता है इसलिए लोगों ने मुझे नया नाम ‘मुर्दा चाय वाला’ दिया।

कर चुके हैं राष्ट्रपति पद का नामांकन


बता दें की संतोष साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भी कर चुकै है। इसके साथ ही संतोष मूरत सिंह द्वारा खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए दी गयी अर्जी पर साल 2018 में यूपी डीजीपी कार्यालय द्वारा संज्ञान लेते हुए वाराणसी क्राइम ब्रांच को इस मामले की जांच दी थी। काफी लम्बी पूछताछ के बात क्राईम ब्रांच ने डीजीपी कार्यालय को इसकी रिपोर्ट सौंपी थी लेकिन अभी इस मामले में कोई फ़ाइनल रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

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