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विदिशा

अमृत था बेतवा का जल, अनदेखी से विष समान हो गया, आओ मिलकर साफ करें

तमाम प्रयासों के बावजूद जागरुकता की कमी से बने ऐसे हालात

विदिशाMay 18, 2019 / 11:56 pm

Krishna singh

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Amrit was water of Betwa, poison became unseen, come together to clean

विदिशा. सदियों से विदिशा और उसके आसपास के क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी बेतवा नदी कभी पुण्यसलिला के नाम से जानी जाती थी, लेकिन लगातार हमारी अनदेखी से उसका अमृत सा जल भी विष सा हो गया। लोग इसका पानी आचमन के लायक भी नहीं समझते। कई बार मछलियां और अन्य जलीय जीवों के थोक में मरने की स्थिति बनती है। हालांकि पहले की तुलना में हालात काफी बदले हैं, लेकिन फिर भी बेतवा का काफी स्वरूप अभी भी बदलने और पूर्ववत सदानीरा बनने की कोशिश जारी रखना है। आज भी बेतवा के कई घाट बुरी तरह गंदगी की चपेट में हैं।
शनि मंदिर के पीछे पुराने पुल के नीचे गंदगी और मलबे के ढेर लगे हैं। यकीनन नया पुल बन गया, जिससे लोगों को काफी राहत मिली है, लेकिन इसके निर्माण के समय ठेकेदार द्वारा की गई लापरवाहियों के कारण बेतवा का यह हिस्सा अभी भी कसमसा रहा है। हनुमान प्रतिमा के आसपास भारी गंदगी है। यही कारण है कि यहां थोड़ा ही कम होने पर पानी रुक जाता है और गंदगी बढऩे लगती है। उधर चरणतीर्थ की ओर जाने वाले मार्ग की जो दीवार और रास्ता निर्माण तत्कालीन सांसद शिवराज सिंह के समय हुआ था, वह भी धंसकने लगा है। नदी और रिटेनिंग वाल के बीच की राह में खोखले और गहरे गड्ढे हो गए हैं। जगह-जगह मिट्टी के टीले बन गए हैं। इनको समय रहते सुधारना और हटाना जरूरी है अन्यथा ये आने वाले दिनों में बड़ी मुश्किल बनकर सामने आएंगे।
नियमित श्रमदानियों का असर
यकीनन पिछले कई वर्षों से मु_ी भर जुनूनी श्रमदानियों की बदौलत बेतवा के घाटों, नदी, उसके आसपास के उद्यानों और मुक्तिधाम की सूरत काफी हद तक संवरी है, लेकिन इसमें सरकारी मशीनरी और जनसहयोग की भारी कमी साफ दिखाई देती है। तमाम प्रयासों के बावजूद जागरुकता की कमी है और लोग अब भी घरों से लाई पूजा सामग्री और अन्य सामान भी बेतवा में उड़ेल देते हैं। मुर्दों की राख चरणतीर्थ के पास उड़ेलने के साथ ही वहां बड़ी तादाद में प्लास्टिक की बोरियां भी फेंक जाते हैं। पिछले वर्षों में पत्रिका के अमृतम् जलम् के तहत खारी विसर्जन घाट को बिल्कुल साफकर दिया गया था, प्राचीन धर्मशाला भी साफ निकल आई थी, लेकिन लोगों की नासमझी ने फिर उसे बदहाल कर दिया है। प्रशासन चेते न चेते, लेकिन शहर के लोगों को अपनी इस धरोहर को बचाने के लिए प्रयास करना होंगे, ताकि हम फिर आने वाले वर्षों में कह सकें कि बेतवा का जल अमृत था और अमृत ही है।
आज से अमृतम् जलम् अभियान
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पत्रिका का पर्यावरण और जल संरक्षण से जुड़ा महत्वपूर्ण अभियान अमृतम् जलम् 19 मई से शुरू हो रहा है। सुबह 6.30 बजे से बेतवा तट पर लखेरा घाट के पास पुराने पुल के नीचे श्रमदान के जरिए सफाई कर बेतवा की गंदगी को साफ किया जाएगा। इसमें सभी पर्यावरण प्रेमियों और शहर वासियों की सहभागिता रहेगी।

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