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अतिक्रमणकारियों से मुक्त हुआ राजमहल, पत्रिका की मुहिम की बड़ी सफलता

– पत्रिका की मुहिम को बड़ी सफलता- पत्रिका की मुहिम पर प्रशासन का एक्शन – उदयपुर के राजमहल पर प्रशासन का कब्जा- पत्रिका ने उठाया था उदयपुर के महल के प्रति प्रशासनिक उदासीनता का मुद्दा

विदिशाJan 19, 2021 / 09:07 pm

Shailendra Sharma

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विदिशा/गंजबासौदा. सदियों पुराने विदिशा जिले के उदयपुर के महल को अवैध कब्जाधारियों और जीर्ण क्षीर्ण होने से बचाने के लिए चलाई गई पत्रिका की मुहिम को बड़ी सफलता हासिल हुई है। और सदियों से उदासीनता के मलबे में सिसकते हुए अंतिम सांस ले रहे उदयपुर के करीब एक हजार साल पुराने राजमहल की प्रशासन ने आखिरकार सुध ले ली है। पत्रिका की मुहिम के बाद मंगलवार को प्रशासन ने महल को अपने कब्जे में ले लिया है।

 

पत्रिका की मुहिम पर प्रशासन का एक्शन
सोमवार को भी पत्रिका की टीम ने उदयपुर के राजमहल की पड़ताल की थी और पहली बार सदियों पुराने इस राजमहल की अंदर की तस्वीरें व वहां हो रहे अवैध कब्जे को उजागर किया था। पत्रिका की ओर से चलाई जा रही इस मुहिम का असर ये हुआ कि प्रशासन ने एक्शन लेते हुए मंगलवार को राजमहल को अपने कब्जे में ले लिया। प्रशासन अमला पुलिस बल के साथ मंगलवार को उदयपुर के महल में पहुंचा और अपना ताला डालकर उसे अपने अधिपत्य में ले लिया। नायब तहसीलदार दौजीराम अहिरवार ने बताया कि अतिक्रमणकारी को कार्रवाई और सिविल जेल का नोटिस दिया गया था, इसके बाद काजी सैयद इरफ़ान अली ने खुद अपना सामान महल से हटाकर मुख्य द्वार की चाबियां सौंप दीं। इसके बाद प्रशासन ने पुलिस के साथ मौके पर पहुंचकर महल का पूरा अवलोकन किया। जिन कमरो में ताले डले थे उनके ताले तोड़कर पंचो के सामने अपने ताले डाल दिए। सारे महल से अतिक्रमणकारी का सामान हट गया है और जो सामान बचा है वो सब अब शासन के अधीन है।

देखें वीडियो-

 

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पत्रिका सबसे पहले सामने लाया महल के अंदर की तस्वीरें
सोमवार को जब पत्रिका की टीम उदयपुर के राजमहल के अंदर की तस्वीरें लेकर सामने आया था तो ये पहली बार था जब सदियों पुराने इस राजमहल के प्रति प्रशासन की उदासीनता को उजागर किया गया था। पत्रिका टीम ने महल के एक-एक हिस्से में पहुंचकर पड़ताल की थी और बताया था कि प्राचीन स्थापत्य कला, शिल्प और वास्तु के हिसाब से बनाए गए इस महल में सौ से ज्यादा कमरे, हॉल, दहलान, गलियारे, तहखाने और सुरंगे थीं। तीन मंजिला भवन के अवशेष अभी भी यहां मौजूद हैं। लेकिन महल का अधिकांश हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है। खजाने की खोज में कई बार इसे खोदे जाने के निशान भी पत्रिका ने अपनी मुहिम में दिखाए थे। इतना ही नहीं पत्रिका ने निर्भीक होकर वो अतिक्रमण भी दिखाया था इस राजमहल में किया जा रहा था।

देखें पत्रिका की मुहिम का पूरा वीडियो-

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