दो दिन पहले बेरहमी से की थी पिटाई
अनिश्चितकालीन धरना दे रहे चिटफंड कंपनियों के पीड़ितों पर पुलिस ने मंगलवार को बेरहमी से मारपीट की थी। बच्चों और महिलाओं को भी पुलिस ने खदेड़ा था।पुलिस पर कई पीड़ितों ने मारपीट के अलावा अभद्रता का भी आरोप लगाया था।
शांतिपूर्वक दे रहे थे धरना
लोगों ने बताया कि सभी पीड़ित अपना धरना शांतिपूर्वक दे रहे थे। उसी दिन सीएम शिवराज सिंह का जिले मेें कार्यक्रम था, जिसके कारण प्रशासन ने पीड़ितों पर कार्रवाई करते हुए मारपीट शुरू कर दी थी। पीड़ितों ने बताया कि वे सर्वहित महाकल्याण वेलफेयर फाउंडेशन की विदिशा इकाई के बैनरतले धरना दे रहे थे। यह धरना अनिश्चितकालीन है।
सीएम के जाने के बाद छोड़ा
पीड़ितों ने बताया कि पहले नीमताल पर धरना दे रहे थे। एसडीएम ने नीमताल से एडीएम निवास के पास शिफ्ट होने के निर्देश दिए। प्रशासन के बताए अनुसार सभी पीड़ित एडीएम निवास के पास आकर टेंट लगाकर धरना देने लगे। सर्वहित महाकल्याण वेलफेयर फाउंडेशन की विदिशा इकाई के जिलाध्यक्ष लखनसिंह मीणा का कहना था कि सीएम के दौरे से हमारा कोई लेना-देना नहीं था। न हम प्रदर्शन करने वाले थे। हम सिर्फ अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे लेकिन पुलिस ने बगैर किसी वजह के हमारे साथ बर्बरता पूर्वक पेश आई। सीएम के जाने के बाद सभी लोगों को अजाक थाने से छोड़ा गया।
इसलिए दे रहे थे धरना
लोगो का कहना कि चिटफंड बंद होने से हजारों निवेशकों की मेहनत की कमाई फंस गई है। वहीं कंपनी के अभिकर्ता बेरोजगारी और निवेशकों के दबाव से जूझ रहे हैं। धनवापसी और बेरोजगारी को लेकर सर्वहित महाकल्याण वेलफेयर फाउंडेशन के बैनरतले सदस्यों, निवेशकों व अभिकर्ताओं ने नीमताल गांधी प्रतिमा के पास धरना शुरू किया था। मंगलवार को हमें प्रशासन ने एडीएम निवास के पास जाने की सलाह दी। वहां गए तो हम लोगों को गिरफ्तार अजाक थाने ले जाया गया।
कुछ लोगों ने कर ली आत्महत्या
निवेशकों के दबाव के चलते प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा अभिकर्ताओं की मौतें हो गई हैं। इनमें कई अभिकर्ताओं ने तो रुपए वापस की मांग को लेकर निवेशकों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के चलते आत्महत्याएं कर ली हैं।