फसल बनीं किसानों के गले की हड्डी
खेती की इतनी खराब स्थिति के चलते फसल अब किसान के गले की हड्डी बन गई है। जिसे वे न तो निगल पा रहे हैं और न ही उगल पा रहे हैं। हालात यह है कि किसानों ने जो कर्जा खेती के लिए था उसकी भरपाई तक नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह की वे सरकार से अपनी मांगों को लेकर लड़ रहे हैं।
किसानों की ऐसी हालात देखकर कांग्रेंस सरकार ने भी किसानों के प्रति चिंता व्यक्त की। किसानों की मांगों को लेकर कांग्रेंस सरकार द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया। जिसमें किसानों से जुड़े मुद्दों को उठाया गया।
राजधानी के हर कोने में किसानों का यही हाल
मध्यप्रदेश के विदिशा, सीहोर, रायसेन हर जगह पर किसानों की हालत एक जैसी है। कही भी किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। 300 रूपये कैरेट बिकने वाले टमाटर भी 20—30 रूपये कैरेट में बिक रहे हैं।
कैसे चले किसानों का घर
किसानों का कहना है कि सब्जियों के दाम उचित नहीं मिलेंगे तो हम अपना पेट कैसे पालेंगे। कैसे बच्चों को स्कूल भेजेगें। कैसे उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाए। कभी मौसम की मार तो कभी बिचौलियों की।
कांग्रेस सरकार की रणनीति
कांग्रेंस सरकार किसानों का साथ दे रही है। यह किसानों के लिए खुशी वाली बात है। पर, विधानसभा चुनाव 2018 भी आने वाले है। जिसके चलते यह बताया जा रहा है कि चुनाव की वजह से कांग्रेस किसानों का साथ दे रही है और कलेक्ट्रेट के समीप धरना प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस का किसानों के लिए धरना प्रदर्शन कोई नई रणनीति तो नहीं।