…काट दो जंगल, जला दो ठूंठ, बना लो खेत…
यहां पाँधरोपण के नाम पर भारी मात्रा में सागौन के पेडों को काटकर नए पौधे लगाना था। लेकिन आज जंगल और उन पौधरोपण में धडल्ले से गेंहू, चना जैसी फसले लहलहा रही हैं और यही कारण है कि जंगल मैदान होता जा रहा है। उत्तर रेंज की बीट देहरीपाम में कक्ष क्रमांक 380 एवं 381 में जंगलों को नष्ट करने का एक सीधा साधा उपाय जंगल माफियाओं ने किया है जंगल के पेड़ो को पहले काटकर फर्नीचर उद्योगों पर ठिकाने लगाया जाता है। बाद में जंगलों में बचे ठूठों को काटकर आग के हवाले कर दिया जाता है। इससे वनभूमि के खेत बनने का रास्ता साफ हो जाता है। जब पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो कई बीघा जमीन के बड़े पेड़ काटकर उन के ठंूट जला कर मैदान कर दिया गया।
अवैध खनन को लेकर वन विभाग ने भी कोई कसर नही छोड़ी। लगातार वन क्षेत्र की नदियों में रेत का खनन किया जा रहा है। जबकी नेवली, चन्देरी, दनवास, शहरखेड़ा, ककराज, बैरागढ़, सेना, कर्रावर्री, रानीधार जैसी नदियों से खूब खनन किया जा रहा है।
ईंट भट्टों के नाम पर भी खूब खेल खेला जाता है। इन ईंट भट्टों के खेल को खेलने के कारण लटेरी के जंगलों से वन औषधियां, वन संपदाऐं अचार, पलाश, छेवला, आंवला, किरवा, तेंदू और बहेड़ा आदि के पेड़ तेजी से नष्ट होते जा रहे हैं। इस बारे में बीट क्षेत्र में रहने वाले कुछ लोगों ने वन अधिकारियों पर भी वन माफिया से सीधी सांठ गांठ और अपने रिश्तेदारों के लिए वन काटकर खेत बनाने के खेल का आरोप लगाया है।
आपके द्वारा जानकारी मिली है जिन लोगों ने अतिक्रमण करवाया है उन पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। अतिक्रमण करने वालों को भी नहीं छोड़ा जाएगा।
-रविन्द्र सक्सेना, सीसीएफ भोपाल