रामलीला मेला समिति के मानसेवी सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि रामलीला समिति की बैठक में हुए निर्णय के अनुसार इस बार रावण के पुतले का आकार छोटा कर दिया गया है। भोपाल के कलाकार ही इसे बनाएंगे, लेकिन आकार 40 फीट की बजाय इस बार 20 फीट का ही होगा। इस पुतले की लागत हर साल करीब 35-40 हजार आती थी, लेकिन इस बार यह 20 हजार रूपए की राशि से ही बन रहा है। इसके अलावा जैन कॉलेज परिसर में करीब सवा लाख रूपए से होने वाली आतिशबाजी भी इस बार नहीं होगी और रावण दहन के ठीक पहले चलने वाला गगनभेदी किला भी सुनाई नहीं देगा। रावण दहन से पहले पूरे शहर में जो रामजी की शोभायात्रा निकलती थी, वह नहीं निकलेगी और सांकेतिक रूप से राम लक्ष्ण के स्वरूप जैन कॉलेज के पास पहुंचाए जाएंगे और वे वहीं गेट से रथ में बैठकर जैन कॉलेज परिसर में पहुंचेंगें, यहां पूजा आरती के बाद रावण दहन की रस्म पूरी की जाएगी।
सनातनश्री हिन्दु उत्सव समिति के अध्यक्ष अतुल तिवारी ने बताया कि हर साल दशहरे पर निकलने वाला दुर्र्गाेत्सव चल समारोह इस बार नहीं निकलेगा। अपनी-अपनी सुविधा से लोग दुर्गा प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाएंगे। गौरतलब है कि हर साल विजयादशमी पर रावण वध के बाद देर रात शुरू होने वाला दुर्गोत्सव चल समारोह दूसरे दिन दोपहर तक चलता था और प्रतिमाएं दूसरे दिन शाम तक विसर्जित होती थीं, लेकिन इस बार विसर्जन का कोई क्रम नहीं रहेगा।