जिला मुख्यालय पर ही होने को तो पांच दमकल हैं, लेकिन इनमें से एक लंबे समय से बंद पड़ी है। इनमें से ४ हजार ५०० लीटर की क्षमता वाली तीन बड़ी दमकल हैं। इनमें से दो नई दमकल में आग बुझाने के लिए फोम का भी उपयोग जरूरत पडऩे पर किया जा सकता है। वहीं एक क्विक रिस्पांस वाहन भी हैं। जिसमें महज २०० लीटर ही पानी बनता है। जबकि मीडियम साइज की दमकल जिसमें 3 हजार लीटर पानी बनता है वह करीब पांच साल से कंडम अवस्था में हैं। जबकि शहर में जतरापुरा, मोहनगिरी की गलियां, लोहांगी की गलियां सहित शहर की करीब 70 प्रतिशत गलियां, सडक़ें काफी सकरी हैं, जहां बड़ी दमकल नहीं पहुंच सकती। जबकि क्विक रिस्पांस वाहन में कम पानी रहता है। ऐसे में मीडियम साइज की दमकल के अभाव में परेशानी होती है।
खस्ताहाल दमकल से बुझाते हैं आग
गंजबासौदा में तीन दमकल हैं। इनमें से एक नई है और दो की हाल खस्ताहाल हो जाने के कारण इनसे पानी लीकेज होता है। ऐसे में आगजनी के स्थल तक पहुंचने पर कई बार दमकल का आधा पानी ही खत्म हो जाता है। यही हाल जिले की कुछ अन्य दमकल का है। वहीं जिला मुख्यालय की एक दमकल लंबे समय से बंद हैं।
होती है परेशान
दमकल पर एक-चार का स्टॉफ एक शिफ्ट में रहता है। इनमें एक चालक, एक वाल्व खोलने वाला, पाइप बिछाने वाला, नोजल पकडऩे वाला और एक हेल्पर शामिल है। लेकिन चार दमकल के हिसाब से पर्याप्त कर्मचारी नहीं होने के कारण एक दमकल पर तीन-तीन कर्मचारी रहते हैं। ऐसे में आगजनी के घटना स्थल पर आग बुझाने में दिक्कत होती है। नपा में दमकल के लिए कुल २८ कर्मचारी हैं। इसी प्रकार लटेरी में दो दमकल पर दो चालक सहित कुल चार कर्मचारी हैं। कुरवाई में दो दमकल पर छह कर्मचारी हैं। शमशाबाद में एक दमकल के लिए चार कर्मचारी हैं। इस प्रकार किसी भी तहसील में दमकल के हिसाब से पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। े
जिला मुख्यालय के दमकलकर्मियों को नपा द्वारा ड्रेस नहीं दी जाती है। इसके अलावा जूते, ग्लोब्ज या अन्य उपकरण नहीं दिए जाते हैं। इसके साथ ही फायरकिट तो किसी भी कर्मचारी को नहीं दी गई है। ऐसे में कर्मचारियों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण वे कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाते हैं। जबकि जिले की चार तहसील में तो दमकल ही नहीं हैं। इनमें त्योंदा, नटेरन, गुलाबगंज, पठारी शामिल हैं।
इंदौर से आई थी दमकल
किरी मोहल्ला में करीब पांच वर्ष पूर्व रात को एक किराना दुकान में आग लगने पर लपटे दूसरी मंजिल पर सो रहे परिजनों के कमरों तक पहुंच गई थीं। जिसमें परिवार के सभी सदस्यों की अकाल मौत हो गई थी। दौरान भोपाल, सागर सहित इंदौर से तक दमकल आई थीं, तब कहीं जाकर आग पर काबू पाया जा सका था। वहीं सुबह ही मुख्यमंत्री भी पहुंच घटना की जानकारी लगते ही सुबह-सुबह मुख्यमंत्री एक किराना दुकान और दूसरी मंजिल पर रात को सो रहे
इनका कहना है
जिले में करीब १३ दमकल हैं। कितनी जनसंख्या पर कितनी दमकल होना चाहिए। इसकी जानकारी नहीं हैं। लेकिन मांग पर दमकल की डिमांड भेज देते हैं।
– केडी पांडे, परियोजना अधिकारी, डूडा