गंजबासौदा से लगा हुआ और मुख्य मार्ग पर होने के कारण हतौड़ा गांव बासौदा से बरेठ, उदयपुर, मंडीबामोरा, कुरवाई आदि जगहों पर पहुंचाना आसान है। सीधा अच्छा और डामरीकृत मार्ग है। बसों का निरंतर चलते रहना भी आवागमन को आसान बनाता है।
ग्रामीण बताते हैं कि हतौड़ा की पहचान अब नजदीक आई कृषि उपज मंडी से होने लगी है। इसके साथ ही अब गांव की रौनक, आवाजाही, रोजगार और गांव की दुकानें भी कृषि मंडी में आने वाले किसानों की वजह से चल पड़ी हैं। पहले की तुलना में काफी अंतर आया है। तरक्की दिखने लगी है।
गांव की जमीनें हुई खूब मंहगी
कृषि उपज मंडी यहां शिफ्ट होने और पास ही कंजना पठार पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित होते जाने से हतौड़ा की जमीनों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि मुख्य सड़क के पास वाली जमीनें तो अब खरीदना भी आसान नहीं है। करोड़ों की खरीद-फरोख्त हो रही है। वहीं अंदर की जमीनों के दामों में भी इजाफा हुआ है।
ग्रामीण बताते हैं कि नई मंडी यहां आने से काफी राहत है। रोजगार के अवसर बढ़े हैं। मजदूर वर्ग ही यहां ज्यादा है। गांव के कई लोगों को मंडी में ही काम मिलने लगा है। जबकि कुछ लोग पत्थर खदानों और पत्थर पीठे पर काम करने जाते हैं। इसके अलावा गांव में सोयाबीन, चना और गेंहू की खेती होती है।
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गांव की ताकत…
1. अनाज मंडी आने से रोजगार के अवसर बढ़े।
2. मुख्य मार्ग पर होने से आवागमन में परेशानी नहीं।
3. मिडिल स्कूल तक पढ़ाई के इंतजाम हैं।
4. तहसील मुख्यालय से नजदीकी बहुत सुविधाजनक है।
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गांव की कमजोरी…
1. मजदूर वर्ग ही ज्यादा है।
2. हाईस्कूल बनना जरूरी है।
3. सिंचाई के साधन नहीं है।
4. नल जल योजना का अभाव है।