बेतवा ही नहीं घाटों पर भी हर तरफ गंदगी, नपा नहीं दे रही ध्यान
बेतवा की व्यथा पर तीन दिन बाद भी नहीं आया तरस, हर दिन मर रही मछलियां
बेतवा ही नहीं घाटों पर भी हर तरफ गंदगी, नपा नहीं दे रही ध्यान
विदिशा। शहर में बेतवा ही प्रदूषित नहीं हो रही बल्कि उसके घाटों पर भी हर तरफ गंदगी व्याप्त है जो असहनीय साबित हो रही है। बेतवा से जुड़ाव रखने वाले लोगों का कहना है कि नपा की कार्यप्रणाली श्रद्धालुओं की बेतवा से दूरी बना रही है। बेतवा का पानी जहां सड़ांध मार रहा है तो वहीं घाटों पर जहां लोग शांति एवं आराधना के लिए आते हैं उनका अब नदी में पर स्नान करना तो दूर वहां दो पल बैठ पाना मुश्किल हो रहा है।
मालूम हो कि बेतवा में लगातार तीन दिन से मछलियोंं की मौतें हो रही है। पूरे क्षेत्र में दुर्गंध है तो वहीं घाटों पर भी गंदगी कम नहीं है। बेतवा के बड़वाले घाट पर श्रमदानी सुबह से स्वच्छता कार्य में जुटते है। बेतवा के जल से कपड़े पॉलीथिन, मलबा, निर्माल्य सामग्री बड़ी मात्रा में निकालते हैं और घाटों के आसपास उन्हें एकत्रित भी करते हैं। नपा को कचरा उठाने के लिए सूचना भी दी जाती है, इसके बाद भी नपा घाटों से कचरा नहीं उठा पा रही।
श्रद्धालु इस बात पर आश्चर्य जता रहे कि नपा के पास सफाई कर्मचारियों का भारी भरकम अमला है। बेतवा को प्रदूषण मुक्त रखना सभी की जिम्मेदारी भी है, लेकिन इस जिम्मेदारी में नपा एवं जिलाप्रशासन की सक्रिय भूमिका दिखाई नहीं दे रही। बड़ी संख्या में मछलियों के मरने एवं बेतवा घाटों पर पसरी गंदगी की जानकारी होने के बाद भी नपा व जिला प्रशासन की कोई टीम अब तक बेतवा की व्यथा को जानने एवं स्वच्छता कार्य के लिए आगे नहीं आई है।
घाटों की सफाई श्रमदान के भरोसे
बेतवा के बड़वाले घाट सहित अन्य घाटों की सफाई श्रमदान के भरोसे है। इसी तरह महल घाटा पर स्वच्छता का जिम्मा भी युवा श्रमदानियों की टीम निभा रही जबकि नपा तीज त्योहार पर ही स्वच्छता कार्य करती आई है। श्रद्धालुओं में इस बात की नाराजी कि बेतवा की स्वच्छता के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्लान बनते रहे। घाटों के सौदर्यीकरण के लिए बातें होती आई पर कोई भी उल्लेखनीय कार्य वर्षों बाद भी बेतवा की स्वच्छता के लिए नहीं हो पाया। हर वर्ष बारिश के दिनों में बेतवा प्रदूषित हो रही और मछलियों सहित अन्य जल जीवों की मौत होती आ रही है।
वर्जन
वर्षों से श्रमदानी अपने स्तर पर बेतवा की स्वच्छता के लिए कार्य करते आए हैं। कई बार जिला प्रशासन से बेतवा की शुद्धता व स्वच्छता के लिए कार्य करने का निवेदन किया जाता रहा लेकिन अब तक कोेई प्रयास नहीं हो सका। बेतवा का इस तरह प्रदूषित होना निश्चित ही चिंतनीय है।
हितेंद्रसिंह रघुवंशी, बेतवा उत्थान समिति
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बेतवा में छह नालों का गंदा पानी मिलता है। इन नालों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ दिया जाए तो इस समस्या का हल होना संभव है। बारिश के दौरान जलकुंभी का बेतवा में आना और बेतवा में प्रदूषित पानी मिलना सिर्फ यह दो मुख्य समस्या है लेकिन वर्षों बाद इन समस्याओं का हल प्रशासन व राजनीतिक स्तर पर नहीं सोचा जा सका जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
-नीरज चौरसिया,पर्यावरण मित्र
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नदी किनारे से मृत मछलियां निकलवाई जा रही है। सोमवार को घाटों की सफाई का कार्य किया जाएगा और गंदगी के जो भी ढेर है उन सभी को हटवाया जाएगा।
-राजेश शर्मा, स्वास्थ्य निरीक्षक, नपा
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