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विदिशा

नए जिला अस्पताल में एनआरसी वार्ड शुरु

सिविज सर्जन दिनभर लेते रहे व्यवस्थाओं का जायजा

विदिशाDec 15, 2019 / 03:41 pm

Anil kumar soni

अब जिला अस्पतालों में सेवा के बाद पीजी डिग्री

अब जिला अस्पतालों में सेवा के बाद पीजी डिग्री

विदिशा। नए जिला अस्पताल में मेडिकल, सर्जीकल वार्ड शुरु होने के साथ ही शनिवार से एनआरसी वार्ड की भी शुरुआत हो गई है। वहीं मशीनरी सहित कई सामान आने का काम चलता रहा। वहीं सिविल सर्जन डॉ. संजय खरे दिनभर व्यवस्थाओं का जायजा लेते दिखे।

नए जिला अस्पताल की शुरुआत के पांचवे दिन एनआरसी वार्ड को भी शिफ्ट कर लिया गया। सुबह के समय ही यहां करीब पांच बच्चे भर्ती कर लिए गए थे और व्यवस्थाएं जुटाने की तैयारियां चलती रहीं। शुरुआत में गद्दों पर बच्चों को भर्ती किया गया और पलंग आदि लाने की तैयारियां चलती रहीं । वहीं सर्जीकल और मेडिकल वार्ड में मरीजों की खासी भीड़ रही। हालांकि शुरुआत होने के कारण कई मरीज यहां से वहां भटकते भी नजर आए। कुछ लोग डे्रसिंग कक्ष ढूंढते दिखे, तो कुछ इंजेक्शन कक्ष। कुल मिलाकर दिनभर यहां मरीजों की खासी भीड़ देखने को मिली।

सुंदरकांड पाठ का हुआ आयोजन
अस्पताल में सब कुछ ठीक रहे और कोई परेशान नहीं हों। इस आशय को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने शनिवार को तीसरे मंजिल के मीटिंग हॉल में सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया। इस दौरान डॉक्टर से लेकर अन्य स्टॉफ सुंदरकांड पाठ करता नजर आया।

दिनभर आती रही मशीनरी
नए जिला अस्पताल में शनिवार को पुराने अस्पताल से मशीनरी सहित अन्य सामान दिनभर आता रहा। ट्रक और अन्य लोडेड वाहनों से यह सामान आया। व्यवस्थाएं देखने के लिए डॉक्टर आदि भी जुटे रहे। दिनभर अस्पताल में मरीजों की खासी भीड़ देखने को मिली। वाहन स्टैंड पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों की कतारें लगी रहीं। वहीं मुख्य प्रवेश द्वार के बाद ऑटो खड़े होने लगे हैं। सरकारी एम्बूलेंस परिसर के भीतर और निजी एम्बूलेंस मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर खड़ी देखी गईं। अस्पताल के प्रवेश द्वार पर सुरक्षाकर्मी बीड़ी, गुटखा आदि की सख्ती से जांच कर रहे थे। किसी के भी पास यह सामग्री मिलने पर वह उसे डस्टबिन में फिंकवा रहे थे।


पुराना अस्पताल रहा सूना
पुराने अस्पताल में अब सिर्फ प्रसूति वार्ड और एसएनसीयू वार्ड चालू है। शेष सर्जीकल, मेडिकल और बच्चा वार्ड तथा एनआरसी आदि सभी नए जिला अस्पताल में शिफ्ट हो गए हैं। कई मरीजों को नए अस्पताल के शुरु होने की जानकारी नहीं होने पर वे पुराने जिला अस्पताल पहुंचे और वहां उपचार नहीं हो पाने पर नए जिला अस्पताल पहुंचे।

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