scriptअतिथि शिक्षकों और छात्रों पर पोर्टल का संकट | Portal crisis on guest teachers and students | Patrika News
विदिशा

अतिथि शिक्षकों और छात्रों पर पोर्टल का संकट

नाममात्र के मानदेय के बावजूद इन अतिथियों को अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाने भेजा गया है। जहां वे वर्षों से काम कर रहे थे, ऐसे कई अतिथियों को नया विद्यालय मिला है। कई अतिथियोंं को तो मौका ही नहीं मिल सका और वे बेरोजगारी से जूझने पर मजबूर हो रहे हैं। वे लगातार ऑनलाइन के लिए इंटरनेट कैफे और संकुल केन्द्र के चक्कर लगा रहे है ताकि जिस संस्था में वे वर्षों से पढ़ा रहे थे, उन्हें वहीं रख लिया जाए। लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं हो पा रहा।

विदिशाAug 12, 2018 / 08:45 am

वीरेंद्र शिल्पी

विदिशा/सिरोंज. शिक्षा विभाग द्वारा हर साल अतिथि शिक्षकों के लिए नए नियम बनाने से इस बार स्कूलों में खासी समस्या खड़ी हो गई है। कई विषयों के पोर्टल पर नहीं खुलने से इन विषयों के अतिथि शिक्षक स्कूलों में नहीं रखे जा पा रहे हैं। ऐसे में जहां अतिथि शिक्षकों पर बेेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है, वहीं स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

स्कूलों में अतिथि शिक्षक रखने के आदेश तो जारी कर दिए गए, लेकिन उन्हें ऑनलाइन आवेदन करने और इसी प्रक्रिया के तहत रखने के निर्देश दिए गए। इस प्रक्रिया के चलते नाममात्र के मानदेय के बावजूद इन अतिथियों को अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाने भेजा गया है। जहां वे वर्षों से काम कर रहे थे, ऐसे कई अतिथियों को नया विद्यालय मिला है। कई अतिथियोंं को तो मौका ही नहीं मिल सका और वे बेरोजगारी से जूझने पर मजबूर हो रहे हैं।

वे लगातार ऑनलाइन के लिए इंटरनेट कैफे और संकुल केन्द्र के चक्कर लगा रहे है ताकि जिस संस्था में वे वर्षों से पढ़ा रहे थे, उन्हें वहीं रख लिया जाए। लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं हो पा रहा। सबसे बडी परेशानी उन अतिथियों की है जो पिछले कई वर्ष से विज्ञान, संस्कृत, हिन्दी और आर्टस के अन्य विषयों को पढ़ा रहे थे। ये विषय पोर्टल पर ही नहीं खुल रहे हैं, जिससे इन्हें संस्थाओं में काम करने की अनुमति नहीं मिल पा रही है। जिससे इनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। वे अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। ऐसे में अब अतिथि शिक्षक आंदोलन की तैयारी में हैं।

50 शालाओं में नियमित शिक्षक नहीं
इस बार बदली प्रक्रिया के कारण बड़ी संख्या में अतिथियों ने स्कूलों में जाना बंद कर दिया है। इसके चलते स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यहां बता दें कि विकासखंड में 50 शालाएं ऐसी हैं जहां नियमित शिक्षक नहीं हैं, ऐसे में इन अतिथियों का न होना संकट में डालने वाला है।

डिमांड भेजेंगे तो पोर्टल में होगा सुधार
जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और 150 और 200 से अधिक छात्र संख्या है उन स्कूलों के शाला प्रभारियों को लिखित में जिला शिक्षा अधिकारी के पास शिक्षकों की मांग भेजना होगी, तब उसमें सुधार के लिए पोर्टल में विज्ञान, हिन्दी, संस्कृत, आर्टस विषय को जोड़ा जाएगा। अभी केवल गणित और अंग्रेजी के ही विषय खुल रहे है। इसके लिए प्राचार्यों को पहल करना होगी।

-इनका कहना है…
शिक्षा विभाग के इस निर्णय से सैकड़ों अतिथि शिक्षकों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा है। वे दस वर्षों से अध्यापन कर रहे हैं, अब कई विषय पोर्टल पर ही नहीं खुल रहे। ऑनलाइन प्रक्रिया बंद करके ऑफ लाइन ही अतिथि शिक्षकों को रखा जाए। ऐसा न होने पर आंदोलन होगा। -हीरालाल ठक्कर जिला महामंत्री, अतिथि शिक्षक संघ

पोर्टल पर बाकी विषय नहीं खुलने के कारण अतिथि शिक्षकों ने स्कूल आना बंद कर दिया है जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। -केके माली शाला प्रभारी देहरी

जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 200 से अधिक है वहां के शाला प्रभारी और संकुल प्राचार्य इन विषयों को पोर्टल पर खुलवाने के लिऐ पत्र भेजते हैं तो उनको जोड़ दिया जाएगा। -एचएन नेमा, जिला शिक्षाधिकारी विदिशा

 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो