हैदरगढ़। ग्राम खरेरा में 25 जनवरी से श्री रूद्र यज्ञ एवं संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा तथा ज्ञान गंगा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
यूपी के शिहोकाबाद की कथा वाचक रेखा शास्त्री द्वारा संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जाएगी। गांव के मुकददम अपूर्व जैन, बबल यादव, राजा ठाकुर और आयोजकों ने इस आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर धर्मलाभ लेने के लिए कहा। वहीं आयोजन को लेकर तैयारियों जोरों से चल रहीं हैं।
पठारी। दिगम्बर जैन मंदिर में मुनिश्री प्रभात सागर महाराज ने धर्मसभा के दौरान कहा कि मंदिर में दी गई दान राशि के द्वारा ही मंदिर की व्यवस्था मंदिर का कार्य एवं अन्य सामान खरीदा जाता है। इसलिए मंदिर की व्यवस्था और सामान की सुरक्षा करना भी समाज के लोगों की ही जिम्मेदारी होना चाहिए। इसलिए मंदिर की व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों को अलग से मंदिर में आना चाहिए। भगवान के दर्शन एवं पूजन के समय में मंदिर की व्यवस्था करना उचित नहीं है।
जैन मंदिर में मुनिश्री अभय सागर महाराज ससंघ विराजमान हैं। मुनिश्री ने आगे कहा कि जिनेंद्र भगवान के दर्शन करने से कर्मों का क्षय होता है। जिस तरह चट्टान के ऊपर बिजली गिरने से वह टुकड़े-टुकड़े हो जाती है। उसी तरह भगवान के दर्शन करने से पापों के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं । पूजन, अभिषेक मंदिर में हमेशा सामूहिक रूप से ही उत्तम है और सूर्योदय के बाद ही देव दर्शन, पूजन, अभिषेक और चौका में खाना बनाने का उत्तम समय होता है।
सूर्योदय से दो घड़ी बाद एवं सूर्य अस्त से दो घड़ी पहले भोजन करना सर्वोत्तम है। भोजन के पहले पैर धोने का स्थल चौका के समीप ही होना चाहिए। लोगों को दान अपनी सामथ्र्य से कम या ज्यादा नहीं करना चाहिए। भगवान के समक्ष विनम्रता पूर्वक ही रहना चाहिए। पूजा की सामग्री द्रव आदि स्वयं ही धोना चाहिए। आहार दान व्यवस्थित हो और गर्म जल की मर्यादा 24 घंटे होती है। पठारी जैन मंदिर में काफी दिनों बाद मुनियों का आगमन होने से समाज के हर वर्ग में मुनियों एवं धर्म के प्रति भक्ति भाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं । सुबह, दोपहर एवं शाम तीनों समय में मुनिश्री अभय सागर, प्रभात सागर एवं निरीह सागर के द्वारा धार्मिक चर्चा एवं कक्षाएं लगाकर लोगों को धर्म लाभ दिया जा रहा है। जिसमें शामिल होने के लिए प्रतिदिन पठारी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही मंडीबामोरा, गंजबासौदा, खुरई सहित दूर-दूर से श्रद्धालु आ रहे हैं।