यह समिति 37 वर्ष से यहां रेल यात्रयों को टे्रन की खिड़की पर पहुंचकर शीतल जल उपलब्ध कराती रही है। इस जल सेवा के समाप्त होने से गर्मी में यात्रियों के लिए पानी की समस्या बढऩे की संभावना जताई जा रही है। मालूम हो कि भोपाल में फुट ओवर ब्रिज की घटना के बाद से रेलवे प्रशासन द्वारा ब्रिज के निरीक्षण व सतर्कता बरती जा रही है। सार्वजनिक भोजनालय समिति के कक्ष भी प्लेटफार्म क्रमांक-1 व 2 पर ब्रिज के नीचे थे।
इस कक्षों में जल सेवा से जुड़ी टंकिया, ट्रॉलियां, बाल्टियां, मग्गे आदि सामान रखे जाते थे। समिति पदाधिकारियों के मुताबिक रेलवे अधिकारियों द्वारा यहां से सामान हटाने का कहा है। इसलिए जल सेवा का उपयोगी सभी सामान हटाना पड़ रहा है। सचिव संतोष ताम्रकार ने बताया कि ३७ वर्ष से यह सेवा निरंतर जारी थी।
इस सेवा से करीब 100 जल सेवक जुड़े हैं जो हर दिन टे्रनों के आने पार खिड़की तक पहुंचकर यात्रियों को शीतल जल उपलब्ध कराते आए हैं। इस कार्य के लिए समिति का अपना बोर है समिति पदाधिकारियों ने बताया कि इस कार्य के लिए रेलवे बाउंड्री के बाहर समिति का अपना बोर है, जिससे पानी लेकर यात्रियों को पिलाया जाता है।
इस सेवा में शहर के वरिष्ठ व्यापारी, रिटायर्ड कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी जल सेवा का यह कार्य करते आए हैं। यहां की सेवा से प्रेरित होकर बासौदा, मुरैना, शुजालपुर, बैरागढ़, कोटा, अकोला आदि में भी जल सेवा शुरू हुई थी। इस सेवा से वर्षों से जुड़े नत्थू कुशवाह, जेएल सचदेवा आदि सभी रेलवे स्टेशन से जल सेवा के उपयोगी सामान को समेटते रहे।
जल सेवकों का कहना रहा कि इस सेवा को सतत बनाए रखने के लिए रेलवे प्रशासन को सामान रखने के लिए स्थान दिया जाना चाहिए। इधर रेलवे के इंजीनियरों ने बताया कि समिति के कक्ष के कारण ब्रिज का हिस्सा ढका हुआ था। इससे निरीक्षण ठीक से नहीं हो पाता था। ब्रिज के नीचे का हिस्सा पूरी तरह खाली रखे जाने के निर्देश हैं। इसके तहत यह हिस्सा खाली कराया गया है। समिति को अन्य स्थान दिए जाने का निर्णय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ही ले सकते हैं।