इस पर नायब तहसीलदार पहुंचीं और फिर चिकित्सकों की कमी और पलंगों की उपलब्धता के अनुसार मात्र 18 महिलाओं की नसबंदी की गई। शेष 20 से ज्यादा महिलाओं को नसबंदी के बिना ही लौटना पड़ा।
नसबंदी ऑपरेशन के लिए सुबह से ही दूर दराज की महिलाओं का अस्पताल पहुंचना शुरू हो गया था। लेकिन उनकी संख्या को देख अस्पताल में मौजूद डॉ बीपी शर्मा के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने शिविर कराने में असमर्थता जताते हु महिलाओं को वापस जाने के लिए कह दिया।
लेकिन महिलाएं अड़ गईं और शिविर लगाने को कहते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। खबर लगते ही नायब तहसीलदार सृष्टि श्रीवास्तव अस्पताल पहुंची। डॉ शर्मा ने उनसे कहा कि यहां चिकित्सकों की कमी है, इससे शिविर का आयोजन जोखिमपूर्ण होगा। जिले से ही शिविर के लिए ऑपरेशन विशेषज्ञों की टीम आना चाहिए।
स्वास्थ्य केन्द्र में अकेले डॉक्टर की उपस्थिति में महिलाओं को ऑपरेशन के बाद नहीं संभाला जा सकता। इस पर नायब तहसीलदार ने गाइडलाइन के मुताबिक ऑपरेशन करने के लिए कहा। इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र 18 पलंग ही खाली थे, इसलिए 18 ऑपरेशन करने का ही तय किया गया, जिससे किसी तरह का विवाद खड़ा न हो। इसके बाद दूर दराज से आईं 20 से ज्यादा महिलाओं को बिना ऑपरेशन के ही लौटना पड़ा। उन्हें अगले कैम्प में आने को कहा गया है।
बिना ऑपरेशन के वापसी से महिलाओं और उनके परिजनों में काफी आक्रोश था, महिलाओं ने नायब तहसीलदार श्रीवास्तव को बताया कि वे दूर दराज से बड़ी मुश्किल से यहां आ पाईं हैं। इस पर नायब तहसीलदार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि जितनी महिलाएं शेष रहीं हैं, उनके ऑपरेशन अगले कैम्प में कराए जाएंगे। इस दौरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ हंसा शाह और नायब तहसीलदार ने उस वार्ड का भी निरीक्षण किया जिसमें ऑपरेशन के बाद महिलाओं को रखा जाना था और वहां जरूरी पलंग, गद्दे, चादर आदि की उपलब्धता देखी।
पिछले हफ्ते हो चुका है हंगामा
ग्यारसपुर में ही पिछले नसबंदी शिविर में १३ महिलाओं को ऑपरेशन के बाद फर्श पर गद्दे बिछाकर लिटाने का मामले में काफी हंगामा हुआ था। इसकी गूंज प्रदेश स्तर पर हुई थी। इससे स्थानीय अस्पताल प्रबंधन डरा हुआ था और ऑपरेशन से बचने का प्रयास हो रहा था। लेकिन बाद में पलंग की उपलब्धता के अनुसार ऑपरेशन तय हुए।