मिली जानकारी के अनुसार टीबी की बीमारी पर पूरी तरह रोक लगाने के चल रहे अभियान के तहत मरीजों की घर-घर जांच का कार्य शुरू हुआ है। यह अभियान 3 मार्च तक जारी रहेगा। इसमें नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्र की छात्राए, आशा कार्यकर्ता ,एएनएम, एमपीडब्ल्यू एवं क्षय अस्पताल के कार्यकर्ता शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर संभावित मरीजों की जांच कर टीबी के मरीजों को चिन्हित करेंगे फिर इनका उचित उपचार कर इन्हें बीमारी से मुक्त किया जाएगा। टीबी मरीजों की खोज में हर दल में 3 सदस्य रहेंगे और प्रतिदिन हर दल 40 से 50 घर का सर्वे करेगा।
शहर में कई बस्तियां चिन्हित इस कार्य के लिए कई बस्तियों को चिन्हित किया गया है। इसमें विदिशा में बकसरियां, सुभाषनगर, करैयाखेड़ा मार्ग, मोहनगिरी, रायपुरा आदि क्षेत्रों में टीम पहुंचेगी और मरीजों की जांच करेगी। जिले की पत्थर, मुरम खदान क्षेत्रों में व आसपास के टीबी संभावित ग्रामीण क्षेत्र में भी अभियान चलेगा।
इसके लिए विदिशा, ग्यारसपुर, बासौदा, सिरोंज, नटेरन, लटेरी के शहरी क्षेत्र व गांव चिन्हित किए जा चुके हैं पिछले वर्ष थे 3 हजार मरीज जिला टीबी अस्पताल में मिली जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष जनवरी से दिसंबर महीने तक जिले में टीबी के 3 हजार 283 मरीज सामने आए थे इनमें से दो हजार 878 मरीज सरकारी अस्पतालों में एवं 405 मरीज निजी चिकित्सकों द्वारा भेजे गए थे।
इनमें 65 मरीज बिगड़ी टीबी के एवं चार मरीज एचआईवी जो टीबी से भी पीड़ित थे। इनमें अधिकांश मरीज स्वस्थ हो चुके और कुछ मरीजों का उपचार जारी है। वहीं इस वर्ष के जनवरी महीने में 225 मरीज टीबी के आ चुके हैं।
राष्ट्रीय क्षेत्र उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किया जाना है। इसी के तहत टीबी मरीजों की खोज की जा रही है जो मरीज चयनित होंगे उनके उपचार की समुचित व्यवस्था कर उन्हें बीमारी से मुक्त किया जाएगा।
– डॉ पुनीत माहेश्वरी, जिला क्षय अधिकारी