scriptवन भूमि को धोखे से बेचने का मामला | The case of fraudulent sale of forest land | Patrika News
विदिशा

वन भूमि को धोखे से बेचने का मामला

नियमानुसार उक्त भूमि पर केवल सदस्यगण खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते थे। इसके बावजूद समिति के अध्यक्ष ने तत्कालीन पटवारी और अधिकारियों से सांठगांठ कर सन 198 4 से 1985-86 में सदस्यों के नाम पर नामातंरण कर दिया गया। पटवारी ने पंजी में उल्लेख किया है कृषक उन्नत खेती के लिऐ बैंक से ऋण चाहते हैं। इसलिए इनका बटवारा किया जाए। इसको आधार बनाकर सदस्यों के नाम पर नामांतरण कर दिए गए।

विदिशाSep 01, 2018 / 03:00 pm

वीरेंद्र शिल्पी

Four sandalwood trees stolen from Ajaygarh Madhya Pradesh

Four sandalwood trees stolen from Ajaygarh Madhya Pradesh

विदिशा/सिरोंज. प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से प्रतिबंध के बावजूद वन भूमि को बेचने और नामांतराण किए जा रहे हैं। वहीं पाटन की पटट्े की भूमि को बेचने का मामला प्रकाश में आने के बाद अधिकारियों द्वारा सिर्फ नोटिस देकर खानापूर्ति की है और दो माह बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
मालूम हो कि शासन द्वारा सन 1974 में सर्वे नम्बर 2029, 2033, 2026 की लगभग 37 हेक्टर जमीन पर खेती करने के लिए सोसायटी अध्यक्ष शोभाराम देवलाल को पटटे पर दी गई थी। जिसके लिए बकायदा एक समिति बनाई गई थी। इसके नियमानुसार उक्त भूमि पर केवल सदस्यगण खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते थे। इसके बावजूद समिति के अध्यक्ष ने तत्कालीन पटवारी और अधिकारियों से सांठगांठ कर सन 198 4 से 1985-86 में सदस्यों के नाम पर नामातंरण कर दिया गया। पटवारी ने पंजी में उल्लेख किया है कृषक उन्नत खेती के लिऐ बैंक से ऋण चाहते हैं। इसलिए इनका बटवारा किया जाए। इसको आधार बनाकर सदस्यों के नाम पर नामांतरण कर दिए गए। इनमें से आधे से ज्यादा सदस्यों ने फिर अधिकारियों से सांठगांठ करके 2005-06 में उक्त भूमि को राजनीतिक पहुंच वाले व्यक्ति ने सस्ते दामों में खरीदकर अपने नाम पर नामातरंण खुलवाकर स्वंय ने खरीद ली। इसके बाद उस जमीन को अच्छे दाम लेने के लिए भोपाल की एक पार्टी को तीन वर्ष पहले विक्रय करके उसके नाम पर नामातरंण भी करवा दिया गया। जबकि क पत्रक पर स्पष्ट उल्लेख है कि उक्त भूमि शासकीय पट्टा ग्रस्त वन विभाग की भूमि है। जिसका विक्रय भी नहीं हो सकता है। इसके बावजूद भी जमीन एक के बाद दूसरे ने दूसरे के बाद तीसरे के नाम पर नामातंरण हो गया। वहीं तात्कालीन अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।
कौडिय़ों से लेकर करोड़ों में बेची भूमि
विपक्ष की पार्टी मे जिम्मेदार पद पर बैठे नेता के द्वारा उक्त जमीन को कोडिय़ों के भाव खरीदकर सांठगाठं करके करोड़ों में विक्रय कर दी गई। नियमानुसार वन विभाग की भूमि किसी भी स्थिति में दूसरे विभाग मे स्थानांतरित भी नहीं होती है। भूमि विक्रय तो हो ही नहीं सकती है। मगर तहसील के अधिकारियो के नियमो को ही बदलकर अपने हिसाब से निमय बनाकर तत्कालीन पटवारी और अधिकारियो ने इस काम को अंजाम दे दिया और वन विभाग की जमीन को ही बैच दिया गया।
सही जांच हो तो खुले पोल
शासकीय पट्टे की जमीन के विक्रय और नामातंरण के मामले की उच्च स्तरीय समिति से निष्पक्ष जांच होती है, तो अधिकारी-कर्मचारियों के साथ रसूखदार नेताओं की भी पोल खुल जाएगी। क्योंकि इन्होने अपने पावर और पैसे की दम पर शासन के नियमों को ही ताक पर रख कर न होने वाले काम को ही करवा और करोड़ों रुपए का घोटाला कर दिया गया।
शिकायत के बावजूद नहीं कार्रवाई
शासकीय पट्टे की जमीन को विक्रय करने वाले, खरीदने वाले एवं जिन अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था। उन सभी पर कार्रवाई करने एवं जमीन को घोषित करने के लिए दो माह पूर्व गोपाल प्रजापति ने एसडीएम से शिकायत की थी, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई करने के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई। जिन सदस्यों के नाम पर बंटवारा हुआ उन्हें नोटिस जारी करके जवाब मांगा। शेष जिन लोगों ने नियम -कायदे, कानूनों को ताक पर रखकर जमीन खरीदकर विक्रय कर दी है। उनको तो तहसील से नोटिस भी नहीं भेजा गया है। कई सदस्यों ने जवाब में लिखा है कि जमीन को गलत विक्रय किया गया है। इसलिए इस जमीन को शासकीय घोषित किया जाए। इसके बाद भी अधिकारी कार्रवाई नही कर पा रहे है।
-इनका कहना है…
-सबकी मिली भगत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है, तभी तो अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अब मैं इस मामले को न्यायालय मे लेकर जाउंगा। – गोपाल प्रजापति, शिकायतकर्ता
-यदि ऐसा है तो हम मामले की जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – अजय शर्मा, तहसीलदार, सिरोंज

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो