जिला अस्पताल से भोपाल रैफर किशोरी के यहां किसी मजिस्ट्रेट ने बयान नहीं लिए और उसे एम्बूलेंस से भोपाल भेजा जाने लगा तो परिजनों ने हंगामा कर दिया। वे भोपाल ले जाने से पहले किशोरी का बयान कराना चाहते थे। इस दौरान हैदरगढ़ थाना प्रभारी मौजूद रहे जो परिजनों का समझाते रहे कि तहसीलदार आ रहे हैं। बयान में हो रही देरी पर परिजन आक्रोश में आ गए। इनका कहना था कि हम गांव से ग्यारसपुर और यहां विदिशा तक आ गए, लेकिन जिला मुख्यालय पर अधिकारी होते हुए भी बयान लेने नहीं आ पा रहे। उनकी बेटी अगर मर गई तो फिर किसके बयान लोगे। वे आरोपी को बचाने के लिए बयान नहीं लिए जाने के आरोप पुलिस पर लगाने लगे। करीब 20 मिनट बाद नायब तहसीलदार प्रमोद उइके मौके पर पहुंचे और एंबूलेंस में ही बैठकर बयान लिए। इसके बाद एंबूलेंस भोपाल के लिए रवाना हुई।
अस्पताल में किशोरी के माता-पिता, ताऊ एवं छोटी बहन मौजूद रही। माता पिता का कहना रहा कि वह खेत पर थे। सुबह छह बजे घटना की जानकारी मिली। उन्होंने बेटी के हवाले से बताया कि गांव के ही एक लड़के ने उनकी बेटी की यह दुर्दशा की। रात में उस पर अत्याचार किए गए। किशोरी को धमकाया गया कि किसी को भी कुछ बताया तो ठीक नहीं होगा। आरोपी उसे कहीं साथ ले जाना चाहता था।
पुलिस ने आरोपी को भी नाबालिग बताया है। इस मामले में आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 457, 506, 307 तथा 3/4 पाक्सो एक्ट एवं एसटीएससी के तहत प्रकरण कायम किया है। आरोपी की तलाश जारी है।
-जयपाल इवनाती, थाना प्रभारी, हैदरगढ़
किशोरी के साथ अत्याचार हुआ और उसे किसी के द्वारा मिट्टी का तेल डालकर जलाया जाना सामने आया है। बयान लिए गए है। जांच का विषय है।
-प्रमोद उइके, नायब तहसीलदार, विदिशा