जिला मुख्यालय से करीब 36 और नटेरन से 5 किमी दूर स्थित सेऊ ग्राम की पहचान ब्रम्हा मंदिर, रामलीला, बूधो की पहाड़ी और सहकारिता से जुड़े कांग्रेसी राजेंद्र प्रसाद शर्मा के गांव के रूप में होती है। लेकिन 1987 में यहां पहुंचे राजीव गांधी का नाम भी अब इस गांव की पहचान माना जाता है। नहरों के आने से यहां हरियाली और खुशहाली दोनेां आई हैं। शिक्षा का ऐसा माहौल कि नटेरन में बनने वाले मॉडल हायरसेकंडरी स्कूल और शासकीय महाविद्यालय के लिए भी सेऊ के किसान कमलसिंह धाकड़ ने और रामलीला के लिए हटचौड़ की जमीन लाला परिवार ने अपनी जमीन दान दे दी।
पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा बताते हैं कि 12 दिसंबर 1987 को राजीव गांधी का सेऊ पहुंंचना हुआ था। उन्होंने चौपाल पर ग्रामीणों से चर्चा की इच्छा जताई थी। संयोग से उनके दौरे के एक दिन पहले ही मावठे की जोरदार बारिश सेऊ में हो गई और रास्ते गलियां सब कीचड़ में तब्दील हो गईं। बारिश के कारण प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतारने की भी समस्या थी, इसलिए दौरे को स्थगित करने का भी खूब प्रयास हुआ लेकिन राजीव ने सेऊ दौरा स्थगित करने से इंकार कर दिया। सीएम मोतीलाल बोरा ने रातों रात हेलीपेड से गांव तक सड़क बनाई गई। तय समय से करीब एक घंटे लेट राजीव हेलीकॉप्टर से उतरे, सोनियां गांधी भी उनके साथ थीं। भोपाल से मोतीलाल बोरा भी उनके साथ आए थे। सड़क बनने के बावजूद बारिश के कारण कीचड़ थी। एक जिप्सी राजीव के लिए तैयार की गई थी। वाहन में कम जगह, ज्यादा लोग देखकर राजीव ने सोनिया को आगे बैठने का इशारा किया और बोले कि-गाड़ी मैं ड्राइव करता हूं। मोतीलाल बोरा और प्रतापभानु शर्मा पीछे की सीट पर बैठे और राजीव गांधी ले चले सबको गांव की ओर। गांव में एक जगह कुछ लोग एकत्रित थे। यहां उन्होंने 15 इंदिरा आवास भी ग्रामीणों को सौंपे थे। वहां एक खाट पर राजीव गांधी और सोनियां बैठे और ग्रामीणों से बातचीत शुरू हुई। एड. अंशुज शर्मा के पिता राजेन्द्र शर्मा इस समय नटेरन के जनपद अध्यक्ष थे, उनसे भी क्षेत्र के बारे में राजीव गांधी ने जानकारी ली। यहां ग्रामीणों ने बाह नदी पर बांध बनाने की मांग राजीव गांधी के सामने रखी, जिस पर उन्होंने सीएम से ध्यान देने को कहा। बांध बन गया, सिंचाई भी होने लगी, लेकिन 33 वर्ष बाद भी राजीव गांधी की यादें इस गांव में बसी हैं।
1. गांव में लोगों के बीच आपसी सौहाद्र्र।
2. शिक्षा के पूरे इंतजाम हैं।
3. नहरों के आने से समृद्धि आई है।
4. गौशाला और नलजल योजना है।
गांव की कमजोरी
1. स्वच्छता के प्रति जागरुकता में कमी।
2. रामलीला मैदान को विकसित करना जरूरी है।
3. कृषि अनुसंधान केन्द्र की पुरानी मांग लंबित है।
4. ब्रम्हा मंदिर और बूधो की पहाड़ी का रखरखाव जरूरी।
ये हैं गांव के गौरव…
सहकारिता नेता राजेन्द्र शर्मा, उनके पुत्र एड. अंशुज शर्मा, विक्रान कंपनी के सीइओ राकेश मरखेड़कर, इंजी. ओपी श्रीवास्तव, डॉ नारायण प्रसाद, स्कूल कॉलेज के लिए जमीन देने वाले कमलसिंह धाकड़,, रामलीला के लिए जमीन देने वाले अशोक श्रीवास्तव का परिवार आदि गांव के गौरव हैं।