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विदिशा

70 की जगह केवल 7 निशानों संग हुई उदयगिरी परिक्रमा

मेले में हजारों की भीड़ वाली उदयगिरी सुनसान

विदिशाNov 23, 2020 / 08:24 pm

govind saxena

70 की जगह केवल 7 निशानों संग हुई उदयगिरी परिक्रमा

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विदिशा. अक्षय नवमी पर 130 वर्ष में यह दूसरा मौका था, जब उदयगिरी पर मेला नहीं भरा और उदयगिरी परिक्रमा की रस्म अदायगी करना पड़ी। हर साल परिक्रमा में मंदिरों के 70 से ज्यादा निशान शामिल होते थे, लेकिन इस बार सांकेतिक परिक्रमा के कारण केवल सात निशान ही शामिल किए गए। तमाम प्रतिबंधों और हालात के बावजूद परंपरा से जुड़़े लोगों ने सात निशानों के साथ पूरे 21 किमी का फेरा लगाया और नगर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को टूटने नहीं दिया। इससे पहले 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बने हालात के कारण भी उदयगिरी मेला नहीं लग सका था और चंद लोगों ने परिक्रमा की रस्म अदायगी की थी।
सुबह 10 बजे चौपड़ा स्थित रामलीला समिति के प्रधानसंचालक पं. चंद्रकिशोर शास्त्री के निवास से पूजा अर्चना के साथ परिक्रमा शुरू की गई। समिति के सह संचालक डॉ सुधांशु मिश्र, सुरेश शर्मा शास्त्री, गिरधर शास्त्री, मनोज शर्मा, मदनकिशोर शर्मा, रवि चतुर्वेदी, शिवराम शर्मा, संतोष जाट, सतीश व्यास, राहुल पुरोहित, भाजपा नेता मनोज कटारे, राजकुमार राय सहित अनेक लोगों ने ध्वज पूजन और आरती उतारकर परिक्रमा का शुभारंभ किया।
परिक्रमा चौपड़ा से शुरू होकर रामघाट, कालिदास बांध, बैसनगर, उदयगिरी, गणेशपुरा, चरणतीर्थ और फिर रामलीला परिसर पहुंची। सभी जगह पूजा अर्चना के बाद परिक्रमा का समापन बड़े बाजार के गणेश मंदिर पर हुआ।
पूरी सुरक्षा के साथ निकले ध्वजवाहक
उदयगिरी परिक्रमा में कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए पूरी सुरक्षा बरती गई। पहले तो निशानों की संख्या ही बहुत कम रखी गई, फिर परिक्रमा में एक साथ बहुत सारे लोग शामिल नहीं हुए। जो सात लोग ध्वज लेकर चल रहे थे, उन्होंने भी सिर और चेहरे पर मास्क लगा रखा था। परिक्रमा मेंं शामिल लोग भी मास्क लगाए थे।
सूनी रही उदयगिरी, नहीं लगा मेला
साल में सिर्फ अक्षयनवमी के दिन ही उदयगिरी सबसे ज्यादा गुलजार रहती है। हजारों लोग यहां पहुंचते हैं और देहाती मेला भरता है। आंवले की पूजा कर महिलाएं परिक्रमा लगाती हैं और लोग अपने घरों से भोजन बनाकर लाते और यहीं पिकनिक मनाते हैं। पहाड़ी पर भी सैंकड़ों लोग चढ़ते हैं। यहां पहुंचना आसान नहीं होता, भारी पुलिस इंतजाम भी रहते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं रहा। पूरा परिसर सुनसान पड़ा रहा। इक् का-दुक्का लोग रोजमर्रा की तरह आते-जाते रहे।

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