रामलीला में गुरूवार को सेतु बांधा गया, समुद्र की भूमिका प्रशांत सिरभैया ने निभाई। रामेश्वरम स्थापना और पूजा हुई। रावण(एड. मदनकिशोर शर्मा) और अंगद (शिवराम शर्मा) के बीच में संवाद हुआ। इसके बाद मेघनाद (राहुल पुरोहित)और राम-लक्ष्मण की सेना का भीषण युद्ध हुआ। दूसरी बार फिर मेघनाद ने मैदान में आकर राम-लक्ष्मण को युद्ध के लिए ललकारा तो लक्ष्मण आए सामना करने। भीषण युद्ध हुआ, लेकिन जीतने का कोई विकल्प न देख मेघनाद ने मंत्रों का उच्चारण कर वीरघातिनी शक्ति का आव्हान किया। आकाश मार्ग से शक्ति आई जिसे पाते ही मेघनाद ने लक्ष्मण पर प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो युद्ध मैदान में गिर गए। उन्हें मेघनाद ने उठाकर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं उठ सके तो हनुमान मेघनाद को धक्का देकर लक्ष्मण को उठाकर रामादल में ले आए। राम अपने अनुज का ये हाल देखकर विलाप करते हैं। विभीषण(संतोष सागर)के कहने पर हनुमान लंका से सुषेण वैद्य को लेकर आते हैं और फिर उनके बताने पर हनुमान(एड. संतोष जाट)संजीवनी बूटी लेने आकाश मार्ग से जाते हैं। यह दृश्य देखकर रोमांचित हजारों दर्शकों ने जोर से जय श्रीराम के जयकारे लगाए। हनुमान संजीवनी बूटी का पहाड़ लेकर आते हैं, जिसके प्रभाव से लक्ष्मण फिर उठ खड़े होते हैं।