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विदिशा

साधू जहां चातुर्मास करता है, वहां तीर्थ खड़े हो जाते हैं-समतासागर

मुनिसंघ की शीतलधाम में चातुर्मास कलश स्थापना हुई

विदिशाJul 05, 2020 / 09:21 pm

govind saxena

साधू जहां चातुर्मास करता है, वहां तीर्थ खड़े हो जाते हैं-समतासागर

साधू जहां चातुर्मास करता है, वहां तीर्थ खड़े हो जाते हैं-समतासागर

विदिशा. साधू जहां चातुर्मास करता है, वहां पर तीर्थ खड़े हो जाते हैं। आपके यहां तो 2014 में आचार्य गुरूदेव का चातुर्मास हो चुका है। यह बात मुनिश्री समतासागर महाराज ने शीतलधाम में चातुर्मास कलश स्थापना के समय धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने इस मौके पर समाधिस्थ मुनिश्री क्षमासागर महाराज के 1992 के चातुर्मास को भी याद किया। समारोह के दौरान धर्मावलंबियों को पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठे थे।
मुनिश्री ने कहा कि शीतलधाम विदिशा का यह मनभावन दृश्य विशालकाय समवशरण बन रहा है,ख्लगभग दो मंजिल बन चुके हैं, तीसरे मंजिल तक काम होना है। देवादिदेव भगवान आदिनाथ बर्रो वाले बाबा की छाया में इस संकट के काल में धर्म ध्यान करने और कराने के लिए गुरूवर ने हम दोनों को विदिशा भेजा है। उन्होंने कहा कि जो लोग आज चांदी के कलश स्थापित कर रहे हैं, वे अपने जीवन को सोना सोना कर रहे हैं। जैसे रबर की गेंद को दीवार पर फेंकते हैंं तो वह गेंंद दोगुनी ताकत से लौटकर तुम्हारे पास आती है, उसी प्रकार धर्म के क्षेत्र में दिया गया दान दोगुना नहीं बल्कि कई गुना होकर लौटता है।
समाज के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि समारोह का संचालन ब्रम्हचारी अशोक भैया ने किया। प्रसिद्ध कवि चंद्रसेन जैन, डॉ नरेन्द्र जैन ने उत्साहवर्धन किया। इस मौके पर समाज के संरक्षक ह्दयमोहन जैन, नपाध्यक्ष मुकेश टंडन, समाज अध्यक्ष डॉ राजीव चौधरी, शीतलधाम अध्यक्ष बसंत जैन सहित समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।
इन्हें मिला कलश स्थापना का सौभाग्य
चातुर्मास स्थापना में प्रथम कलश का सौभाग्य नरेश जैन बालाजी बिल्डर्स को मिला, दूसरा कलश विपिन सर्राफ, अनिरुद्ध सर्राफ ने रखा और तीसरा कलश सौभाग्य सागर के निर्मल जैन को मिला। चौथा कलश सनत जैन, पांचवा कलश संजय मामा, छठवां रमेश चौधरी, विनोद चौधरी, सातवां कलश अभिषेक जैन, आठवां कलश स्थापित कराने का सौभाग्य डॉ राजेन्द्र जैन शोभा जैन को मिला।

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