एसिडोसिस
जब शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है तो कार्बोहाइड्रेट की स्थिति में ग्लाइकोलाइसिस लिपोलाइसिस और केटोजेनेसिस की शुरुआत होती है। केटोजेनेसिस की वृद्धि से रक्त और शरीर के उत्तकों में अम्लता बढ़ जाती है इससे धमनियों के रक्त का पीएच मान बदल जाता है कोशिकाओं की क्षति होती है।
वजन घटना
कार्ब की कमी होने पर शरीर में फैट और मसल मास का अभाव होता है ऐसे में वजन अचानक कम हो जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना
ऐसी स्थिति में शरीर में तरल पदार्थों की कमी होने लगती है इसलिए विटामिन-सी के कम होने की दर तेज हो जाती है। लगातार डिहाइड्रेशन की स्थिति बनी रहने के कारण रोग प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ता है। ऐसे में कई घातक बीमारियां भी चपेट में ले सकती हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया
शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी होने पर ग्लूकोज की कमी हो जाती है। इस कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर गिर जाता है और हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में चक्कर आना, तनाव, थकान की स्थिति बनती है।
कब्ज
कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों में फाइबर अधिक पाया जाता है। ऐसे में शरीर में इसकी कमी होने पर कब्ज की समस्या हो सकती है।
ऐसे करें पूर्ति
शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी को दूर करने में शकरकंद, चना, ब्राउन राइस, ओट्स, केला, आलू, गेहूं आदि का नियमित और अच्छी मात्रा में सेवन करना बेहद लाभकारी हो सकता है।