जी हां, न केवल धरती पर रहकर बल्कि स्पेस में भी महिला अंतरिक्ष यात्री रिसर्च के लिए जाती हैं और अपने काम को सफलतापूर्वक पूरा कर वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं। अब तक 60 फीमेल एस्ट्रोनॉस्ट अंतरिक्ष के दौरे पर जा चुकी हैं। सबसे पहले सोवियत संघ की वलेंटिना तेरेश्कुवा ने साल 1963 में ऐसा किया था।
स्पेस में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को कई तरह के फिजिकल और मेंटल टेस्ट का सामना करना पड़ता है। उनका पूरा चेकअप होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेस में एक लंबी अवधि के लिए जाना पड़ता है। महीनों तक रहना पड़ता है ऐसे में शारीरिक रूप से अस्वस्थ या मानसिक रूप से चंचल लोगों को किसी मिशन पर भेजना खतरनाक साबित हो सकता है। अब सवाल यह आता है कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन स्पेस में महिला अंतरिक्ष यात्री पीरियड्स को कैसे मैनेज करती है?
जीरो ग्रैविटी में पीरियड्स को मैनेज करना कोई आसान काम नहीं है और उसी हालत में काम करना और भी मुश्किल होता है। ऐसे में उनके साथ डॉक्टरों की टीम भी रहती हैं जो उन्हें पीरियड्स को रोकने की दवा देते हैं हालांकि मेडिसिन लेकर पीरियड्स को रोकना पूरी तरह से उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। वे चाहें तो सैनेटरी नैपकिन या टैम्पॉन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
यानि कि इससे एक बात तो साफ है कि, धरती की ही तरह स्पेस में पीरियड्स सामान्य ही होते हैं,लेकिन जीरो ग्रैविटी में इस स्थिति से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं हैं और दुनिया भर की फीमेल एस्ट्रोनॉट्स इस चुनौती का सामना सालों से ही सफलतापूर्वक करती आ रही हैं।