नागा साधुओं का सांसारिक जीवन से कोई लेना-देना नहीं होता है,लेकिन एक गृहस्थ जीवन को बिताने में इंसान को जितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता उससे कहीं ज्यादा मुश्किल परिस्थितियों में से होकर नागा साधु अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
नागा साधुओं का रहन-सहन, खान-पान सबकुछ बेहद अलग होता है। अपनी पूरी जिंदगी ये कठिन तप करने में निकाल देते हैं। आज हम आपको इनके बारे में एक अहम बात बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है।
क्या आप जानते हैं कि शरीर का त्याग करने के बाद उनके साथ क्या किया जाता है यानि कि मृत्यु के पश्चात इनके पार्थिव शरीर का क्या होता है? आइए जानते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि हिंदुओं में मौत के पश्चात मृत शरीर को जलाने की प्रथा का पालन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इंसान का शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और शव को जलाने के साथ वह उन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाता है हालांकि नागा साधुओं को जलाया नहीं जाता है बल्कि उन्हें भू-समाधि दी जाती है।
नागा बाबाओं में अंतिम संस्कार भू-समाधि देकर की जाती है। कहा जाता है कि पहले इन्हें जल समाधि दी जाती थी, लेकिन वर्तमान समय में नदियों के प्रदूषित होने के चलते उन्हें भू समाधि दी जाती है।