scriptजल्लाद ने बताया फांसी देने का अपना पहला अनुभव, बकरे की तरह ऐसे छटपटाता है मुजरिम, देख पसीज जाता है दिल | Hangman shared his first creepy experience of hanging | Patrika News
अजब गजब

जल्लाद ने बताया फांसी देने का अपना पहला अनुभव, बकरे की तरह ऐसे छटपटाता है मुजरिम, देख पसीज जाता है दिल

हर इंसान अपने काम के पहले दिन नर्वस रहता है और अगर काम किसी को फांसी के फंदे पर लटकाना है तो बड़े बड़ों के हाथ-पांव फूलने लगते हैं।

Aug 29, 2018 / 01:51 pm

Arijita Sen

pawan

जल्लाद ने बताया फांसी देने का अपना पहला अनुभव, बकरे की तरह ऐसे छटपटाता है मुजरिम, देख पसीज जाता है दिल

नई दिल्ली। भारत में अभी जल्लादों की संख्या मात्र दो है। इनमें से एक है पवन जल्लद का परिवार जिसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में रहने वाला कल्लू जल्लाद का परिवार इस पेशे को पीढ़ी दर पीढ़ी चलाता आ रहा है। आज इस परिवार का केवल एक ही वारिस बचा हुआ है जो आज भी इस परंपरा को निभा रहा है।

pawan

पवन के परदादा लक्ष्मन सिंह अंग्रेजों के जमाने में जल्लाद थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा कहे जाने पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी के फंदे पर लटकाया था।परदादा की मौत के बाद उनके दादा कालूराम ने इस काम को करने की जिम्मेदारी ली। कालूराम ने इसे अपने बेटे मम्मू को सौंपा और मम्मू से अब इकलौते पवन के कंधे पर इस काम को निभाने की जिम्मेदारी है।

Execution

हर इंसान अपने काम के पहले दिन नर्वस रहता है और अगर काम किसी को फांसी के फंदे पर लटकाना है तो बड़े बड़ों के हाथ-पांव फूलने लगते हैं। पवन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। पवन अपने पहले अनुभव के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि यह घटना जयपुर जेल की है। दादा के साथ वह फांसी लगवाने गये थे। मौत की सजा पाया मुजरिम राम-राम बोलता जा रहा था। जैसे-जैसे वह फांसी तख्ते की ओर बढ़ रहा था, उसकी हिम्मत जवाब देती जा रही थी।

Executioner

फांसी के तख्ते पर पहुंचकर जैसे ही वह अपराधी खड़ा हुआ तब पवन ने उसके पांवों में रस्सी डालकर कस ली। उस मुजरिम का पूरा बदन थर-थर कर कांप रहा था। उसकी हालत देख पवन के लिए भी खुद को संभाल पाना मुश्किल हो गया था।

जैसे ही पवन के दादा यानि कि कालूराम की नजर पवन पर पड़ी तो उन्होंने पनव को मुजरिम से दूर हटने का इशारा किया। पलक झपकते ही कालूराम ने लीवर खींच दिया। महज कुछ सेकेंड के अंदर पवन की आंखों के सामने वह जीता-जागता इंसान एक पुतले की तरह झूल रहा था।

यह पवन का पहला अनुभव था। इसके बाद पटियाला (पंजाब) में फांसी लगाने गया था। यहां भी वह अपने दादा संग गया था। पांच लोगों के सामूहिक हत्यारे भाईयों को उस दिन फांसी के फंदे पर लटकाना था। हालांकि ये मुजरिम तनिक भी घबरा नहीं रहे थे।

मुजरिम

पवन का खौफ से सामना तीसरी बार इलाहबाद नैनी जेल में हुआ। जहां 7 साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या का आरोपी को फांसी देना था। डर के मारे मुजरिम की हालत पस्त थी।

वह फांसी के तख्ते पर चढ़ने से इंकार कर रहा था। उसके पैर कांप रहे थे। वह बार-बार फांसी के कुएं पर जा रहा था और डर के मारे अपने पैर पीछे ले जा रहा था।

उसे ऐसा करते देख सिपाहियों ने उसे धक्का देकर फांसी के तख्ते पर लाकर खड़ा किया। पवन ने उसके पैरों पर रस्सी कस दी और दादा ने गले में फंदा डाल दिया। बस पलक झपकते ही काम तमाम हो गया।

पवन की इन बातों से एक चीज तो बिल्कुल साफ है और वह ये कि हर इंसान के अंदर दिल होता है, जज्बात होते हैं यह उसकी मजबूरी है या काम जिसके चलते उसे ऐसा करना पड़ता है।

 

Home / Ajab Gajab / जल्लाद ने बताया फांसी देने का अपना पहला अनुभव, बकरे की तरह ऐसे छटपटाता है मुजरिम, देख पसीज जाता है दिल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो