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अजब गजब

इस देश ने पार की थी हैवानियत की सभी हदें, मंजर को याद कर आज भी थर्रा उठता है हर नागरिक

युद्ध के शुरुआती दौर में जापान ने अपना दबदबा बना लिया और शंघाई पर अपना पूरा कब्जा कर लिया था। शंघाई पर कब्ज़ा करने के बाद जापान की सेना के हौंसले बुलंद हो गए।

नई दिल्लीSep 15, 2018 / 05:23 pm

Priya Singh

japanese army destroyed china completely in 1941

इस देश ने पार की थी हैवानियत की सभी हदें, मंजर को याद कर आज भी थर्रा उठता है हर नागरिक

नई दिल्ली। अब से करीब 79 साल पहले की बात है। तारीख थी 1 सितंबर, ये वही दिन था जब दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी। जो करीब 6 साल तक चला और करोड़ों लोगों की जान लेने के बाद सितंबर 1945 में रुका। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1941 सबसे ज़्यादा भयावह और कातिलाना था। साल 1941 में दो और युद्ध हुए थे, ये दोनों ही दिसंबर महीने में हुए थे। पर्ल हार्बर और नानजिंग नरसंहार के नाम से लोगों के ज़हन को आज भी डराने वाले ये मामले दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक है। बताते चलें कि, उस समय में चीन की राजधानी नानजिंग ही हुआ करती थी। वैसे तो चीन और जापान की लड़ाई साल 1937 से ही शुरु हो गई थी। युद्ध के शुरुआती दौर में जापान ने अपना दबदबा बना लिया और शंघाई पर अपना पूरा कब्जा कर लिया था। शंघाई पर कब्ज़ा करने के बाद जापान की सेना के हौंसले बुलंद हो गए और उन्होंने 13 दिसंबर के दिन नानजिंग पर भी हमले करना शुरु कर दिया। जानकारों का कहना है कि जापानी सेना का नानजिंग पर हमला करना ही जंग की असली वजह बनी।

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आंकड़ों के मुताबिक, जापानी सेना ने सिर्फ 40 दिनों में 3 लाख से भी ज़्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं जापान की सेना पर आरोप लगे कि उन्होंने चीन की 80 हजार से ज़्यादा औरतों के साथ दरिंदगी को भी अंजाम दिया। और तो और जानकार बताते हैं कि जापानी सेना चीनी लोगों को मारकर उनका मांस भी पकाकर खा जाते थे। इस युद्ध को लेकर चीन ने दावा किया था कि उनके करीब 3.5 करोड़ सैनिकों और नागरिकों की मौत हो गई थी। तो वहीं जापान की रिपोर्ट में बताया गया था कि उनके भी करीब 2 लाख सैनिक मारे गए थे। लेकिन अमेरिका द्वारा नागासाकी और हिरोशिमा पर किए गए परमाणु हमले ने जापान को हिला कर रख दिया। जिसके बाद 1945 में जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

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