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अजब गजब

इस राजा के सामने भीख मांगते थे अंग्रेज, जनता की इस भलाई के लिए दिया था अंग्रेजों को एक करोड़ रुपये का कर्ज

भारतीय इतिहास के इस राजा ने अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना तो दूर बल्कि उन्होंने अंग्रेजों की सत्ता को कभी घांस तक नही डाली।

Jul 16, 2018 / 04:30 pm

Arijita Sen

महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय

इस राजा के सामने भीख मांगते थे अंग्रेज, जनता की इस भलाई के लिए दिया था अंग्रेजों को एक करोड़ रुपये का कर्ज

नई दिल्ली। हम सभी जानते हैं भारत पर अंग्रेजी हुकूमत के बारे में। अंग्रेजों ने अपनी बल, चालाकी इत्यादि का प्रयोग कर भारत की भूमि पर अपना कब्जा कर लिया था। उस काल में अ्रंगेजी शासकों का प्रभाव इस हद तक था कि उनके सामने कई बड़ी-बड़ी हस्तियों, राजा-महाराजाओं ने अपने घुटने टेक दिए थे। हालांकि, यह बात भी उतनी ही सच है कि देश में वीर पुरूषों और महिलाओं की कोई कमी नहीं थी। जिन्होंने, बिना अपने सिर झुकाए अंग्रेजों का डटकर सामना किया।

 

महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय

एक ऐसे ही वीर और स्वाभिमानी पुरूष थे राजा ‘श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय’। भारतीय इतिहास के इस राजा ने अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना तो दूर बल्कि उन्होंने अंग्रेजों की सत्ता को कभी घांस तक नही डाली।

महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय ने अंग्रेजों को करोड़ों रुपयों का कर्जा देकर खुद अंग्रेजों को ही अपना कर्जदार बना लिया था। उन्होंने स्वयं अंग्रेजो को अपने सामने भीख मांगने पर मजबूर किया।

 

railway track

उस दौरान ‘मध्य भारत के महाराजा’ के नाम से जाने जाने वाले इस राजा ने अंग्रेजों को एक करोड़ रुपये दिये थे। उस समय अंग्रेज रेलवे प्रकल्प पर काम कर रहे थे। इससे आम जनता को काफी लाभ होने वाला था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए महाराजा तुकोजीराव होलकर ने इस बड़ी रकम को कर्जस्वरुप दिया था।

 

railway track

इस कर्ज के बलबूते अंग्रेजों ने इंदौर के पास के तीन रेलवे स्टेशनों को जोड़ने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया। महाराजा द्वारा दिए गए इन रुपयों से अंग्रेजों ने सात वर्ष के अंदर ‘खंडवा-इंदौर’, ‘इंदौर-रतलाम-अजमेर’ और इंदौर-देवास-उज्जैन’ इन तीन रेलवे लाइनों का निर्माण किया। इनमें से ‘खंडवा-इंदौर’ लाईन को ‘होलकर स्टेट रेल्वे’ नाम से संबोधित किया जाता है।

 

railway track

इतना ही नहीं आम जनता को होने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए उन्होंने रेलमार्ग निर्माण के लिए अंग्रेजों को मुफ्त में जमीन भी दे दी थी।

यह इलाका पहाड़ी होने के कारण यहां रेल की पटरियां बिछाने में काफी मेहनत लगी। इस रेल की पटरी को बनाने के दौरान बीच में आई नर्मदा नदी पर भी एक बड़ी सी पूल बनाई गई।

 

Tukojirao Holkar 2

इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इंदौर में टेस्टिंग के लिए लाया गया पहला भाप का इंजिन हाथियों की मदद से खींचकर रेलवे पटरियों तक लाया गया। इस घटना को भारतीय इतिहास और भारतीय रेलवे के इतिहास में महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है।

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