ब्रीडर के लिए बढ़ी सरजा की मांग
मेडगयाल नस्ल की ये भेड़ महाराष्ट्र के सांगली के जाट तहसील में पाई जाती हैं तथा अन्य नस्लों के मुकाबले इनका आकार बड़ा होता है। खूबियों से भरपूर इस भेड़ की मांग भेड़ प्रजनकों (ब्रीडर) में ज्यादा है। इस नस्ल का नाम जाट तहसील के मेडगयाल गांव पर रखा गया है। सांगली के अतपडी तहसील के भेड़पालक बाबू मेटकरी के पास 200 भेड़ें हैं और जब एक मेले में भेड़ को 70 लाख रुपए में खरीदने की पेशकश की गई तो वह अचंभित हो गए, लेकिन इतनी ज्यादा कीमत देने के बावजूद उन्होंने भेड़ को नहीं बेचा।
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सरजा का नाम पड़ा ‘मोदी’
मेटकरी का कहना है कि इस भेड़ का असली नाम सरजा है। लोग इसकी तुलना प्रधानमंत्री मोदी से करने लगे। इसलिए इसका नाम ‘मोदी’ पड़ गया है। लोगों का कहना है कि जिस तरह से मोदी सभी चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनें, उसी तरह से सरजा को जिस भी मेले या बाजार में ले जाया गया, वहां इसका जलवा रहा।
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10 लाख में बिकते हैं सरजा के बच्चे
भेड़ के मालिक मेटकरी ने कहा कि सरजा उनके और उनके परिवार के लिए शुभ है। इसलिए वह इसे बेचना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 70 लाख रुपए की पेशकश करने वाले खरीदार को उन्होंने इसे बेचने से इनकार कर दिया। क्योंकि इस भेड़ के बच्चे 5 से 10 लाख रुपए के बिकते हैं।