एक सदी की सबसे अनूठी आत्महत्याओं में से एक थी इस ‘रहस्यमयी बंदर’ की आत्महत्या!
पिछले 70 सालों से कचरा उठाने वाले लोग यहां के रहवासियों के दरवाजे-दरवाजे जाकर कचरा इकट्ठा कहते हैं और उसके बदले मामूली सा मेहनताना लेते हैं। ये कचरा इकट्ठा करके ट्रक के जरिए मंशियत नासिर तक लाया जाता है। इसके बाद महिलाएं और बच्चे उन कचरों को अलग-अलग करते हैं। मंशियत नासिर की स्थिति सेहत के लिहाज से भी बहुत अच्छी नहीं है। यहां के हालात देखते हुए काहिरा म्युनिसिपल गवर्नमेंट ने साल 2003 में डिस्पोजल कचरे के लिए प्राइवेट कंपनीज हायर की थी, जो कचरा उठाने वालों के लिए ठीक नहीं था। फिर यहां स्वाइन फ्लू का दौर चला जिसके चलते गवर्नमेंट ने सुअरों को मारने का आदेश दिया, जो ऑर्गेनिक वेस्ट मटेलियल साफ करने में अहम होते हैं।