scriptभारत की इस जनजाती में शादी के बाद दूल्हा जाता है ससुराल, बच्चों को मिलता है मां का उपनाम | Matriarchal Communities in India, In Khasi marriages, men go and live with the wife and her family, woman is the sole custodian of wealth and property | Patrika News

भारत की इस जनजाती में शादी के बाद दूल्हा जाता है ससुराल, बच्चों को मिलता है मां का उपनाम

locationनई दिल्लीPublished: Jul 31, 2022 10:09:10 pm

Submitted by:

Archana Keshri

इस जनजाति में घर-परिवार के सदस्यों का भार पुरुषों की जगह महिलाओं के कंधों पर होता है। बेटियों के जन्म लेने पर यहां जश्न मनाया जाता है। हां पर माता पिता की संपत्ति पर पहला अधिकार महिलाओं का होता है।

In Khasi marriages, men go and live with the wife and her family

In Khasi marriages, men go and live with the wife and her family

भारत में कई धर्म, जाति और समुदाय के लोग रहते हैं, जिनके रीति रिवाज अलग अलग होते हैं। लेकिन एक समानता सभी धर्म के लोगों में देखने को मिलती है और वो है दुल्हन की विदाई। भारत शुरू से पुरुष प्रधान देश रहा है और यहां पर प्राचीन काल से शादी के बाद दुल्हनों की विदाई की प्रथा चली आ रही है। मगर आपको जानकर ये हैरानी होगी कि भारत में ही एक ऐसी जनजाती रहती है जहां का समाज महिला प्रधान है। सिर्फ यहीं नहीं यहां पर शादी होने के बाद दुल्हन , दूल्हे के घर नहीं जाती बल्कि दूल्हा, दुल्हन के घर पर आकर रहता है।
यह प्रथा मेघालय की खासी जनजाति में चली आ रही है। इस जनजाति में घर-परिवार के सदस्यों का भार पुरुषों की जगह महिलाओं के कंधों पर होता है। आप यह जानकर भले ही हैरान हो रहे होंगे, लेकिन ये सच है। यह भारत के बाकी समाज से बिल्कुल उलट है। इस समुदाय में फैसले घर की महिलाएं ही करती हैं। बाजार और दुकानों पर भी महिलाएं ही काम करती हैं। बच्चों को उपनाम भी मां के नाम पर दिया जाता है।
मां के बाद परिवार की संपत्ति यहां बेटियों के नाम की जाती है। परिवार की सबसे छोटी बेटी पर सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। उसे माता-पिता, अविवाहित भाई-बहनों और संपत्ति की देखभाल भी करनी पड़ती है। वही घर की संपत्ति की मालिक होती है। खास बात ये हैं कि यहां बेटी होने पर खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लड़का और लड़की को विवाह के लिए अपना जीवन साथी चुनने की पूरी आजादी दी जाती है।
इस समुदाय की खास बात यह है कि खासी समुदाय में किसी भी प्रकार के दहेज की व्यवस्था नहीं है। इस समुदाय के लोग दहेज प्रथा के सख्त खिलाफ होते हैं। यह भारत के बाकी समाज से बिल्कुल उलट है। दिलचस्प बात ये है कि बीते कुछ साल से यहां के पुरुषों ने इसे बदलने के लेकर आवाज उठानी भी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि वे बराबरी चाहते हैं।
मगर आपको बता दें, इस जनजाती में महिला प्रधान समाज होने के बावजूद राजनीति में महिलाओं की मौजूदगी न के बराबर है। खासी समुदाय की परंपरागत बैठक, जिन्हें दरबार कहा जाता है, उनमें महिलाएं शामिल नहीं होतीं। इनमें केवल पुरुष सदस्य होते हैं, जो समाज से जुड़े राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते हें और जरूरी फैसले लेते हैं। खासी समाज के लोग मेघालय के अलावा असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में भी रहते हैं। जबकि पहले ये जाति म्यांमार में रहती थी। ये समुदाय झूम खेती करके अपनी आजीविका चलाता है।

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