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High Inflation Rates: भारत के इन गांव की महंगाई जानकर आपके पसीने छूट जाएंगे

High Inflation Rates: पिथौरागढ़ की जिला पूर्ति अधिकारी चित्रा रौतेला का कहना है कि प्रवासी गांवों को जोड़ने वाले रास्ते बंद होने के कारण काफी परेशानी बढ़ी है। जब ढुलाई भाड़ा बढ़ गया है तो जाहिर सी बात है कि जरूरी सामान की कीमत में उछाल आएगा ही। जिला पूर्ति अधिकारी का यह भी कहना है कि, जिला मजिस्ट्रेट से विचार-विमर्श करके इस मामले में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

नई दिल्लीSep 23, 2021 / 12:01 pm

Tanya Paliwal

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नई दिल्ली। High Inflation Rates: यूं तो दिनों दिन महंगाई काफी बढ़ती जा रही है। जिससे हर इंसान आज सामान्य आवश्यक वस्तुओं के लिए भी काफी मशक्कत कर रहा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत का कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां महंगाई में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

यह भारत-चीन सीमा पर बसे हुए गांव हैं, जहां महंगाई आसमान छू रही है। हालत यह है कि बुर्फू, लास्पा और रालम ग्रामसभाओं में रोजाना का जरूरी सामान भी 6-8 गुना तक महंगा बेचा जा रहा है। मुनस्यारी में जो नमक ₹20 किलो मिल रहा है, वही नमक सीमा के गांवों में 130 रुपये किलो के मूल्य में यहां के लोग खरीदने को मजबूर हैं। यहां अन्य राशन की चीजों का भी यही हाल है। महंगाई इतनी है कि प्याज 125 रुपये किलो, तो सरसों तेल का दाम 275 रुपये किलो तक पहुंच गया है। इसके अलावा दाल तथा चीनी की कीमत क्रमशः ₹200 किलो और ₹150 किलो है।

 

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इन गांव में महंगाई बढ़ने के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार देखे जा सकते हैं:
कोरोना महामारी के पश्चात श्रमिकों ने भाड़ा ढोने की कीमत दुगनी कर दी है। जहां साल 2019 में प्रति किलो 40 से 50 रुपये भाड़ा था वहीं पर अब ये 80 से 120 रुपये तक कर दिया है।

पैदल आवागमन के रास्ते टूट चुके हैं। जिस कारण जरूरत का लगभग सारा सामान घोड़े और खच्चर वालों से खरीदना पड़ता है। जबकि पहले लोग खुद पैदल जाकर सामान लाते थे।

इसके अतिरिक्त नेपाल मूल के मजदूर जो कम कीमत में मिल जाते थे, महामारी के कारण नेपाल से यहां आने वाले मजदूरों की संख्या भी काफी कम हो गई। नेपाली मजदूर न आने से भी कीमतों में इजाफा हुआ है।

आपको बता दें कि भारत-चीन सीमा पर प्रतिवर्ष मार्च से नवंबर तक इन तीनों ग्रामसभाओं के 13 से अधिक छोटे-छोटे गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं। साथ ही सेना की कई चौकियों से भी सैनिक नीचे आ जाते हैं इसलिए ये सीमा के प्रहरी भी हैं। उबड़ खाबड़ रास्तों और कोरोना महामारी के कारण कारणवश इस बार माइग्रेशन पर आए गांव के लोग महंगाई से बहुत परेशान हैं। यहां सड़क से करीब 52 से 73 किमी तक दूर रहने वाले ग्रामीणों का कहना है, यदि सरकार उनकी इस समस्या का हल नहीं निकाल पाती है अथवा उनके लिए उचित इंतजाम नहीं कर सकती, तो आगे माइग्रेशन मुश्किल होगा।

 

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