बताया जा रहा है कि ये प्रजाति पिछले 20 सालों से लापता थी लेकिन अब अचानक से बीच पर इसके अंडे दिखने से एक नई उम्मीद जगी है। लोगों ने बीच पर जैसे ही अंडे देखे तो तुरंत ही वन विभाग के अधिकारियों का खबर की गई।
‘ऑलिव रिडले’ प्रजाति के हैं ये अंडे अधिकारियों ने अंडे देखकर पुष्टि की है कि ये अंडे ‘ऑलिव रिडले’ प्रजाति के कछुए के हैं। अधिकारियों ने बताया कि ये कछुए सबसे छोटे समुद्री कछुओं की श्रेणी में आते हैं।
बताया जा रहा है कि वर्सोवा बीच पर शुक्रवार को कछुओं के तकरीबन 80 टूटे अंडे देखे गए थे। जांच से पता चला है कि ये एक लुप्त प्रजाति के कछुए के ही अंडे हैं जो पिछले 20 सालों से लुप्त थे।
103 कछुओं की गिनती की गई वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लगभग 103 कछुए गिनती में हैं जिनमें से लगभग 80 समुद्र में जा चुके हैं,7 कछुओं को वन्य संरक्षकों ने पकड़कर समुद्र में छोड़ा है। वहीं कुछ की अंडों के अंदर ही मौत हो गई है।
अधिकारी बनाए हुए हैं नजर
वन विभाग के मुख्य अधिकारी ने कहा कि मादा कछुए की उसी जगह वापस आने की उम्मीद है जहां पर उसने अंडे दिए थे। हम उस जगह पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
पर्यावरणविद् अफ्रोज शाह के काम की सराहना अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकार की प्रजाति सिर्फ साफ पानी में ही मिलती है। तीन साल पहले एक वकील और पर्यावरणविद् अफ्रोज शाह ने वर्सोवा बीच को साफ करने के लिए पहला कदम उठाया था। उस समय ये काम वे खुद ही करते थे लेकिन कुछ समय बाद कई लोगों ने उनका साथ दिया। आज उनकी मेहनत रंग लाई और 20 सालों के बाद ये विलुप्त प्रजाति बीच पर देखने को मिली।