यहां की एक और बात इंसान को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और वह है साधु संतों के साथ आए उनके पालतू जानवर। इन जानवरों को देखकर बेहद अजीब लगता है क्योंकि इनके मालिक अकसर प्रभू की भक्ति में लीन रहते हैं जिस वजह से इनके व्यवहार में भी इस बात की झलक साफ तौर पर देखने को मिलती है। इसके साथ ही इनके खाने-पीने की आदत भी बाकी अन्य कुत्तों की अपेक्षा काफी भिन्न है।
एक ऐसे ही कुत्ते के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं जिसका नाम सोयांकी है। जूना अखाड़ा के नागा सन्यासी का पालतू है सोयांकी। इस कुत्ते के बारे में सबसे खास बात यह है कि यह हर वक्त अपने मालिक के साथ परछाई की तरह रहता है।
जहां भी सन्यासी केदार गिरि जाते हैं उनका पालतू सोयांकी भी उनके पीछे-पीछे चल देता है। यहां तक कि जब केदार गिरि नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं तो सोयांकी भी उनके साथ जाकर नदी में डुबकी लगाता है।
सोयांकी को ड्राई फ्रूट्स खाना बेहद पसंद है और इसके साथ ही हलवा, मक्खन और दूध का सेवन भी उसे अच्छा लगता है, लेकिन अपने मालिक को देखकर अब उसे भी व्रत का पालन करने आ गया है। केदार गिरि के पास सोयांकी के अलावा भी और पांच विदेशी नस्ल के कुत्ते हैं जिन्हें उन्होंने एक साल पहले करीब 21,000 रुपये देकर इंदौर से खरीदा था।
इनका नाम है टाइगर, शेरू, जैकी, ध्रुव, रैंकी और सोयांकी। इनमें से सोयांकी उनके ज्यादा करीब है। केदार गिरि का ऐसा कहना है कि ये पांचों महज कुत्ते नहीं है बल्कि ये भी यहां आए साधुओं के जैसे ही हैं। ये पांचों नदी में डुबकी लगाते हैं, यज्ञ के समय उपस्थित रहते हैं और भंडारा का सेवन करते हैं।
संत केदा गिरि का ऐसा कहना है कि इस बार की ही तरह दूसरे शाही स्नान में भी ये पांचों उनके संग शामिल होंगे।