आपको बता दें कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6000 मीटर है जो कि एवरेस्ट के मुकाबले काफी कम है लेकिन बावजूद इसके पर्वतारोही इस पर चढ़ाई करने से कतराते हैं। आखिर ऐसा क्यों है? इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? आइए आज हम आपको इस बारे में पूरी बात बताते हैं।
तिब्बत के प्राचीन लेखों में इस बात का जिक्र किया गया है कि कैलाश पर्वत में किसी भी इंसान को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि यहां बादलों के बीच देवताओं का निवासस्थल है। जो कोई यहां जाकर देवताओं को देखने का प्रयास करेगा उसे अपनी जान गंवानी पड़ेगी। बात अगर हिंदू धर्म की करें तो इसमें इस बात का जिक्र है कि कैलाश पर्वत पर महादेव का वास है।
हालांकि इन सबके बावजूद कई बार पर्वतारोहियों ने इस पर चढ़ने की कोशिश की है लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी। इन पर्वतारोहियों में से एक है कर्नल विल्सन।
विल्सन ने कैलाश पर अपने चढ़ाई की अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि कैलाश पर चढ़ाई करने के लिए और अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए उन्होंने सबसे आसान रास्ता ढूंढ़ निकाला लेकिन अचानक हुई बर्फबारी के चलते वो ऐसा करने में नाकाम रहे।
विल्सन के अलावा भी कई ऐसे पर्वतारोही है जिन्हें कैलाश पर्वत पर या तो श्वास से संबंधित बीमारी या फिर कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन सारी वजहों से वो भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकें। अब हर बार ऐसा क्यों होता है इसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है।