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अजब गजब

काली मां को खुश करने के लिए यहां लोग बहा देते हैं खून की नदियां, खुशी-खुशी सदियों से कर रहे हैं यह काम

करीब 400 साल पुराने इस उत्सव को मनाने के लिए सैकड़ों की तादात में लोग हिस्सा लेते हैं।

Nov 10, 2018 / 12:25 pm

Arijita Sen

काली मां

काली मां को खुश करने के लिए यहां लोग बहा देते हैं खून की नदियां, खुशी-खुशी सदियों से कर रहे हैं यह काम

नई दिल्ली। दुनियाभर में लोग तरह-तरह के उत्सवों का पालन करते हैं इन्हें मनाने के पीछे भी कुछ रोचक कारण हैं। अगर हम अपने देश की बात करें तो यहां तमाम धर्म-सम्प्रदायों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। सभी के अपने कुछ रीति-रिवाज और उत्सव हैं जिन्हें लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं। इन त्यौहारों से लोगों के बीच प्रेम-सौहार्द बढ़ता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अजीबोगरीब त्यौहार के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग एक-दूसरे को जमकर चोट पहुंचाते हैं। वह भी महज इसलिए ताकि चोटिल व्यक्ति के खून को मां काली के ऊपर चढ़ाया जा सकें।

स्टोन पेल्टिंग (पत्थर फेंक) फेस्टिवल

सुनने में हैरान लगने वाली यह बात बिल्कुल सच है। हम यहां स्टोन पेल्टिंग (पत्थर फेंक) फेस्टिवल की बात कर रहे हैं जिसे शिमला में मनाया जाता है। जी हां, शिमला से करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित धामी में शाही परिवार के लोगों के द्वारा इस त्योहार का आयोजन किया जाता है।सदियों पुरानी इस प्रथा का पालन आज भी यहां के लोग करते आ रहे हैं।

स्टोन पेल्टिंग (पत्थर फेंक) फेस्टिवल

स्थानीय लोग इस त्यौहार के बारे में बताते हुए कहते हैं कि, मानव बलि जैसी नृशंस प्रथा को जड़ से मिटाने के लिए धामी की पूर्व रानी ने अपने प्राण त्याग दिए। इसके साथ ही उन्होंने एक ऐसे उत्सव के होने की मांग रखी जिसमें दो समुदाय के लोग आपस में पत्थरबाजी करते हैं तब तक जब तक कि कोई चोटिल न हो जाए। इसके बाद चोटिल हुए व्यक्ति के खून को काली मां पर चढ़ाया जाता है।

स्टोन पेल्टिंग (पत्थर फेंक) फेस्टिवल

करीब 400 साल पुराने इस उत्सव को मनाने के लिए सैकड़ों की तादात में लोग हिस्सा लेते हैं। तत्पश्चात ये एक-दूसरे पर पत्थर फेंकने का काम करते हैं। सबसे पहले एक प्राचीन मंदिर से जुलूस निकाला जाता है।

स्टोन पेल्टिंग (पत्थर फेंक) फेस्टिवल

बता दें, इस मंदिर का निर्माण धामी के पूर्व राजा ने किया था। यहां से जुलूस निकलकर लोग एक स्थान एकत्रित होकर पत्थरबाजी करते हैं।

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