जिस दिन पेंटिंग चोरी हुई सब रोज की तरह आर्ट गैलरी में अपना काम कर रहे थे। किसी की नज़र पेंटिंग पर नहीं पड़ी। दूसरे दिन जब एक पेंटर मोना लीज़ा की पेंटिंग का स्केच बनाने आया तब लोगों को इस चोरी के बारे में पता चला। उस समय तक मोना लीज़ा की पेंटिंग के बारे में किसी को नहीं पता था। चोरी होने से पहले मोना लीज़ा की पेंटिंग पर मुश्किल से कोई गार्ड होता था। इतना ही नहीं पेंटिंग दीवार से चिपकाई भी नहीं गई थी जिससे उसे कोई भी उसे आसानी से निकाल सकता था, लेकिन एक चोरी ने मोना लीज़ा को ख़बरों में ला दिया। उस समय प्रकाशित होने वाले सभी अखबारों के फ्रंट पेज पर मोना लीज़ा की तस्वीर छापी गई। मोना लिसा की पेंटिंग इतनी मशहूर हो गई थी कि आर्ट गैलरी में पेंटिंग की खाली जगह देखने लोग आने लगे। लाख कोशिश करने के बाद भी पुलिस चोर तक नहीं पहुंच पाई। 1913 तक मोना लीज़ा की पेंटिंग की चोरी के बारे में सब भूल चुके थे। इसी बीच एक आर्ट डीलर के पास एक लेटर आया जिसमें मोना लीज़ा को खरीदने के बारे में लिखा था।
डीलर ने मोना लीज़ा की पेंटिंग को खरीदने के लिए हामी भर दी, लेकिन एक बार उस चोर से पेंटिंग को परखने की बात कही। पेंटिंग के असली-नकली की जांच की गई तो वह असली निकली। इसके बाद वह दो साल तक पेरिस के एक किचन टेबल पर पड़ी रही। Vincenzo Peruggia इटली में पकड़ा गया। कोर्ट में उसने कहा कि उसे मोना लीज़ा की पेंटिंग से प्यार हो गया था। Vincenzo का कहना था कि मोना लिसा की पेंटिंग को नपोलियन ने इटली से चुराया था। उसका कहना था कि वह पेंटिंग को दोबारा उसकी सही जगह ले जाना चाहता था। Vincenzo के वकील ने उसे एक देशभक्त साबित कर के चोरी के इल्ज़ाम से बचा लिया।